बुधवार, 25 अप्रैल 2012

ज्योत्षी हथेली पढ़ने कि हस्तरेखा कला 03

गर्भावस्था के दौरान ही शिशु के हाथ में लकीरो का जाल बुन जाता है, जो कि जन्म से लेकर मृत्यु तक रेखाओ के रुप में विद्यमान रहता है। इसे हस्त रेखा (Palm line) के रुप में जाना जाता है। सामान्यतया 16 वर्ष तक की आयु के बच्चो की हाथों की रेखाओ में परिवर्तन होता रहता है।

सोलह वर्ष की आयु होने पर मुख्य रेखाएँ (जीवन रेखा, भाग्य रेखा इत्यादि) (Life line, Fortune line) स्थिर हो जाती है तथा कर्मो के अनुसार अन्य छोटे-बडे परिवर्तन होते रहते हैं। तथा ये परिवर्तन जीवन के अंतिम क्षण तक होते रहते हैं (Life line keep on changing throughout life)।
चूंकि हस्त रेखा (Samudrik Shastra)
विज्ञान कर्मो के आधार पर टिका है, इसलिए मनुष्य जैसे कर्म करता है वैसा ही परिवर्तन उसके हाथ की रेखाओ में हो जाता है (Palmistry stand by our work, palm line change with them)। हाथ का विश्लेषण करते समय सबसे पहले हम हाथ की बनावट को देखते हैं तत्पश्चात यह देखा जाता है कि हाथ मुलायम है या सख्त।आम तौर पर पुरुषो का दायाँ हाथ तथा स्त्रियों का बायाँ हाथ देखा जाता है।यदि कोइ पुरुष बायें हाथ से काम करता है तो उसका बायाँ हाथ देखा जाता है। हाथ में जितनी कम रेखाऎं होती हैं, भाग्य की दृष्टि से हाथ उतना ही सुन्दर माना जाता है (Lots of Palm line are not good for Fortune)।

हाथ में मुख्यतः चार रेखाओ का उभार स्पष्ट रुप से रहता है( We can see four main line in palm)
जीवन रेखा (Life Line)
जीवन रेखा हृदय रेखा के ऊपरी भाग से शुरु होकर आमतौर पर मणिबन्ध पर जाकर समाप्त हो जाती है (Life line start from heart line and end on Manibandh line)। यह रेखा भाग्य रेखा के समानान्तर चलती है, परन्तु कुछ व्यक्तियो की हथेली में जीवन रेखा हृदय रेखा में से निकलकर भाग्य रेखा में किसी भी बिन्दु पर मिल जाती है।जीवन रेखा तभी उत्तम मानी जाती है यदि उसे कोइ अन्य रेखा न काट रही हो तथा वह लम्बी हो इसका अर्थ है कि व्यक्ति की आयु लम्बी होगी तथा अधिकतर जीवन सुखमय बीतेगा। रेखा छोटी तथा कटी होने पर आयु कम एंव जीवन संघर्षमय होगा(If there is breakage in life line or there is any cut it means your life is short and in struggle)।

भाग्य रेखा:(Fate Line)
हृदय रेखा के मध्य से शुरु होकर मणिबन्ध तक जाने वाली सीधी रेखा को भाग्य रेखा कहते हैं (Straight Line start from middle of heart and end on Manibandh line called fate line) ।स्पष्ट रुप से दिखाई देने वाली रेखा उत्तम भाग्य का घौतक है।यदि भाग्य रेखा को कोइ अन्य रेखा न काटती हो तो भाग्य में किसी प्रकार की रुकावट नही आती।परन्तु यदि जिस बिन्दु पर रेखा भाग्य को काटती है तो उसी वर्ष व्यक्ति को भाग्य की हानि होती है।कुछ लोगो के हाथ में जीवन रेखा एंव भाग्य रेखा में से एक ही रेखा होती है।इस स्थिति में वह व्यक्ति आसाधारण होता है, या तो एकदम भाग्यहीन या फिर उच्चस्तर का भाग्यशाली होता है (If there is no fortune line on your palm it means you are not a middle class)। ऎसा व्यक्ति मध्यम स्तर का जीवन कभी नहीं जीता है।


हृदय रेखा: (Heart Line)
हथेली के मध्य में एक भाग से लेकर दूसरे भाग तक लेटी हुई रेखा को हृदय रेखा कहते हैं (Vertical line starts from middle of palm and end on heart line called heart line)। यदि हृदय रेखा एकदम सीधी या थोडा सा घुमाव लेकर जाती है तो वह व्यक्ति को निष्कपट बनाती है। यदि हृदय रेखा लहराती हुई चलती है तो वह व्यक्ति हृदय से पीडित रहता है।यदि रेखा टूटी हुई हो या उस पर कोइ निशान हो तो व्यक्ति को हृदयाघात हो सकता है(There is Chance of heart attack if heart line is break)।

मस्तिष्क रेखा:(Brain Line)
हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक उंगलियो के पर्वतो तथा हृदय रेखा के समानान्तर जाने वाली रेखा को मस्तिष्क रेखा कहते हैं (Parallel line to heart line is called mind line)। यह आवश्यक नहीं कि मस्तिष्क रेखा एक छोर से दूसरे छोर तक (हथेली) जायें, यह बीच में ही किसी भी पर्वत (Planetary Mounts) की ओर मुड सकती है। यदि हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा आपस में न मिलें तो उत्तम रहता है (Brain line is good if mind line or heart line are not together)। स्पष्ट एंव बाधा रहित रेखा उत्तम मानी जाती है। कई बार मस्तिष्क रेखा एक छोर पर दो भागों में विभाजित हो जाती है। ऎसी रेखा वाला व्यक्ति स्थिर स्वभाव का नहीं होता है, सदा भ्रमित रहता है।
लाल किताब में सामुद्रिक ज्ञान यानी पामिस्ट्रि (Palmistry) के आधार पर व्यक्ति की जन्मकुण्डली का निर्माण होता है, तथा जिन व्यक्तियो को अपनी जन्मतिथि तथा जन्म समय मालूम नही उनके लिए लाल किताब बहुत लाभकारी है।


विज्ञान और आलोचना 

इस तरह के सच को तर्क की कसौटी पर कसने वाले लोग (स्केप्टिक्स) अक्सर हस्तरेखाविदों को कथित मानसशास्त्री की श्रेणी में रखते हैं, "कोल्ड रीडिंग" नाम की तकनीक का प्रयोग करते हैं. कोल्ड रीडिंग को एक ऐसा अभ्यास माना जाता है जिसमें हस्तरेखाविदों सहित सभी प्रकार के रेखा अध्‍ययनकर्ताओं को मानसशास्त्री के समक्ष पेश होना पड़ता है.
एक थोड़े व्यापक रूप से स्वीकार्य खोज के मुताबिक हस्तरेखा शास्त्र की सटीकता को चरित्र विश्लेषण की एक प्रणाली के रूप में स्वीकार किया गया है और अभी तक निर्णायक सबूत नहीं मिला है कि हथेली की रेखाओं और व्यक्ति के चरित्र के बीच कोई संबंध होता है. 

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ज्योत्षी हथेली पढ़ने कि हस्तरेखा कला 02

अतिरिक्त मुख्य रेखाओं या रूपों में शामिल हैं: 
एक बंदर रेखा (क्रीज) या दिल और मुख्य रेखा का मिलनस्थल का भावनात्मक और तार्किक प्रकृति दोनों के अध्ययन में अकेले इस रेखा का खास महत्व है. इस अजीब रेखा को सिर और दिल की रेखा का संयोजन माना जाता है और ऐसे हाथ को बाकी हाथों से अलग चिह्नित किया जाता है.
हस्तरेखाशास्त्र के अनुसार, यह रेखा एक व्यक्ति को उद्देश्य की तीव्रता या किसी उद्देश्य के प्रति एकाग्रता प्रदान करती है, जिसका स्वभाव हाथ पर इस रेखा की सही स्थिति और इससे निकलनेवाली किन्हीं शाखाओं से निर्धारित होती है, जो एक सामान्य मामला होता है. उन हाथों में, जिनमें ऐसी रेखा बिना किसी शाखा के एकल चिह्न के रूप में मौजूद होती है, वह अत्यंत गहन प्रकृति की ओर संकेत करती है और व्यक्तियों की विशेष देखभाल की जरूरत होती है. इस रेखा की सामान्य स्थिति सबसे बड़ी उंगली के नीचे शुरू होती है और सामान्य रूप से वहां समाप्त होती है, जहां दिल की रेखा छोटी उंगली के नीचे हाथ के किनारे खत्म होती है, इससे व्यक्ति के औसत हितों का संकेत मिलता है और स्वभाव की गहनता विशुद्ध रूप से यहां से निकलनेवाली किन्हीं शाखाओं की दिशा से निर्धारित होती है. हथेली के ऊपरी आधे हिस्से, जो उंगलियों तुरंत नीचे होता है, व्यक्ति के उच्चतर या बौद्धिक स्वभाव का प्रतिनिधित्व करता है और हथेली के निचला आधा हिस्सा व्यक्ति के स्वभाव के भौतिकवादी पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है. अगर इन आधे-आधे हिस्सों में से एक बड़ा होता है, जो मुख्य रेखा की केंद्रीय स्थिति या इस मामले में एकल अनुप्रस्थ हथेली रेखा से निर्धारित होता है, व्यक्ति के स्वभाव के व्यापक विकास के पहलू को प्रदर्शित करता है. हालांकि यह एक आम सिद्धांत है कि अगर यह रेखा अपनी सामान्य स्थिति से नीचे होती है तो इससे गहन बौद्धिक स्वभाव का संकेत मिलता है, पर अगर यह अपनी सामान्य स्थिति से ऊपर होती है, तो घोर भौतिकवादी प्रकृति और हितों को दर्शाता है. इस रेखा से निकली किन्हीं शाखाओं की दिशा का इस रेखा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जिससे ऊपर परिभाषित परिणामों से उपयुक्त संशोधन होते हैं और यह हाथ के उभार की प्रकृति पर आधारित होता है. उदाहरण के लिए, यदि इस रेखा से एक शाखा अंगूठे के बिल्कुल विपरीत चंद्रमा के उभार पर हाथ के निचले किनारे की ओर बढ़ती है तो यह संकेत करता है कि व्यक्ति भावुक स्वभाव और काफी हिचकिचानेवाला है.
भाग्य रेखा कलाई के पास हथेली के निचले हिस्से से शुरू होती है और हथेली के केन्द्र से होते हुए मध्य उंगली की ओर जाती है. माना जाता है कि यह रेखा स्कूल और कैरियर के चयन, सफलताओं और बाधाओं सहित व्यक्ति के जीवन-पथ से जुड़ी होती है. कभी कभी माना जाता है कि यह रेखा व्यक्ति के नियंत्रण, या एकांतर रूप में व्यक्ति की पसंद और उनके परिणामों से परे परिस्थितियों को प्रतिबिंबित करती है.

मंगल नकारात्मक हस्तकला बृहस्पति, शनि, अपोलो, बुध, मंगल सकारात्मक, मार्स नेगटिव, प्लेन ऑफ़ मार्स, लुना माउंट, नेपच्यून माउंट, वेनस माउंट.
अन्य छोटी रेखाएं:
सूर्य रेखा - भाग्य रेखा के समानांतर अंगूठी वाली उंगली के नीचे स्थित यह रेखा यश या घोटाले की ओर इंगित करती है.
सूचक और मध्यम उंगलियों के बीच के कटिसूत्र वीनस - छोटी और अंगूठी वाली उंगलियों के बीच से शुरू होने वाली रेखाएं अंगूठी वाली उंगलियों और मध्य उंगली के बीच मेहराबनुमा आकार से गुजरती है और मध्य और अंगूठी वाली उंगलियों के बीच खत्म होती है और माना जाता है कि ये भावुक खोजी बुद्धि और हेराफेरी की क्षमता से संबंधित होती है.
संघीय रेखाएं - ये छोटी क्षैतिज रेखाएं दिल की रेखा और छोटी उंगली के अंत के बीच में होती हैं और माना जाता है कि ये कभी-कभी, लेकिन हमेशा नहीं- रोमांटिक करीबी रिश्तों की ओर इशारा करती हैं.
बुध रेखा - यह कलाई के पास हथेली के नीचे से शुरू होती है और हथेली होते हुए छोटी उंगली की ओर जाती है माना जाता है कि यह स्वास्थ्य के मुद्दों व्यापार बुद्धि, या संचार में कौशल की ओर इंगित करती हैं.
यात्रा रेखा - ये क्षैतिज रेखाएं कलाई और दिल की रेखा के बीच हथेली के किनारे को छूती है, प्रत्येक रेखा व्यक्ति की यात्रा की बारंबारता को दर्शाती है यानी अगर रेखा लंबी होगी तो व्यक्ति की यात्रा भी ज्यादा महत्वपूर्ण होगी.
अन्य चिह्न - इनमें नक्षत्र, पार, त्रिकोण, वर्गाकृतियां, त्रिशूल, और प्रत्येक उंगलियों के छल्ले शामिल होते हैं, माना जाता है कि हथेली की स्थितियों के आधार पर उनके प्रभाव और अर्थ अलग-अलग होते हैं और हस्तक्षेप करने वाली रेखाओं से मुक्त होती हैं.
"अपोलो रेखा"- अपोलो रेखा का मतलब है एक भाग्यशाली जीवन, यह चंद्रमा के उभार से चलकर अपोलो उंगली के नीचे कलाई तक जाती है.
"अशुभ लाइन" - यह जीवन रेखा को पार कर अंग्रेजी के 'एक्स' के रूप में होती है; यह बहुत बुरा संकेत है और हस्तरेखाविद अक्सर इसका उल्लेख नहीं करते, क्योंकि इस अशुभ रेखा के बारे में बताने से व्यक्ति चिंतित हो जाता है. अशुभ लाइन के आम संकेतक में अन्य लाइनों से मिलकर बना 'M' आकार शामिल होता है.

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ज्योत्षी हथेली पढ़ने कि हस्तरेखा कला 01

हाथ का आकार

हस्तरेखा शास्त्र और उन्हें पढ़ने के प्रकार के आधार पर हस्तरेखाविद् हथेली की आकृति और उंगलियों की लाइनों, त्वचा के रंग और बुनावट, नाखूनों की बनावट, हथेली और उंगलियों की अनुपातिक आकार, पोरों की प्रमुखता और हाथ की कई अन्य खासियतों को देख सकते हैं.
हस्तरेखा शास्त्र की अधिकांश धाराओं में हाथ की आकृतियों को 4 या 10 प्रमुख शास्त्रीय प्रकारों में विभाजित किया जाता है और कभी कभी इसके लिए शास्त्रीय तत्वों या विशेषताओं का सहारा भी लिया जाता है. हाथ का आकार संकेतित प्रकार के चरित्र के लक्षणों (यानि, एक "अग्नि हाथ" उच्च ऊर्जा, रचनात्मकता, चिड़चिड़ापन, महत्वाकांक्षा, आदि - सभी गुणों को अग्नि के शास्त्रीय तत्व से संबंधित माना जाता है.)
हालांकि भिन्न-भिन्न रूपों के बावजूद सबसे आम वर्गीकरण ही आधुनिक हस्तरेखाविद् प्रयोग करते हैं.
'पृथ्वी' हाथ की पहचान आम तौर पर चौड़ी, वर्गाकार हथेलियों और उंगलियों या मोटी या खुरदरी त्वचा, लाल रंग के तौर पर होती है कलाई से हथेली की उंगलियों के आखिरी हिस्से तक की हथेली की लंबाई आमतौर पर हथेली के सबसे चौड़े हिस्से की चौड़ाई से कम होती है और आम तौर पर उंगलियों की लंबाई के बराबर होती है.
'वायु' हाथ में वर्गाकार या आयताकार हथेली व लंबी उंगलियां होती हैं और साथ ही साथ कभी-कभी उभरे हुए पोर, छोटे अंगूठे और अक्सर त्वचा सूखी होती है. कलाई से हथेली की उंगलियों के नीचे करने के लिए लंबाई आमतौर पर उंगलियों की लंबाई से कम है.
'जल' हाथ देखने में छोटे होते हैं और कभी-कभी अंडाकार हथेली वाले, लंबी व लचीली उंगलियों वाले होते हैं. कलाई से हथेली की उंगलियों के आखिरी हिस्से तक की हथेली की लंबाई आमतौर पर हथेली के सबसे चौड़े हिस्से की चौड़ाई से कम होती है और आम तौर पर उंगलियों की लंबाई के बराबर होती है.
'अग्नि' हाथ में चौकोर या आयताकार हथेली, लाल या गुलाबी त्वचा और उंगलियां छोटी होती हैं. कलाई से हथेली की उंगलियों के आखिरी हिस्से तक की हथेली की लंबाई आमतौर पर उंगलियों की लंबाई से बड़ी होती है.
स्वयं अपनी हथेली में प्रभुत्व वाले तत्व तथा प्रकृति निर्धारित करना सहज है (डोमिनेंट प्लानेट्स इन हैंड एंड होरोस्कोप) हाथ के आकार के विश्लेषण में रेखाओं की संख्या और पंक्तियों की गुणवत्ता भी शामिल की जा सकती है. हस्तरेखा शास्त्र की कुछ परंपराओं में, पृथ्वी और जल हाथों में कम और गहरी रेखाएं होती हैं, जबकि वायु और अग्नि हाथ में और अधिक रेखाएं दिख सकती हैं, जिनमें कम स्पष्ट परिभाषा होती है.
रेखाएं
1 हस्तकला में हाथ की रेखाओं 1: जीवन रेखा - 2: मस्तिष्क रेखा - 3: दिल की रेखा - 4: सूचक और मध्यम उंगलियों के बीच के कटिसूत्र वीनस - 5: सूर्य रेखा - 6: बुध रेखा - 7: भाग्य रेखा

लगभग सभी हाथों में तीन रेखाएं पाई जाती हैं और आम तौर पर हस्तरेखाविद् इन पर सबसे ज्यादा जोर देते हैं.
बड़ी रेखाओं में हृदय रेखा को हस्तरेखाविद् पहले जांचता है. यह हथेली के ऊपरी हिस्से और उंगलियों के नीचे होती है. कुछ परंपराओं में, यह रेखा छोटी उंगली के नीचे हथेली के किनारे से और अंगूठे की तरु पूरी हथेली तक पढ़ी जाती है.दूसरों में, यह उंगलियों के नीचे शुरू होती है और हथेली के बाहर के किनारे की ओर बढ़ती देखी जाती है. हस्तरेखाविद् इस पंक्ति की व्याख्या दिल के मामलों के संबंध में करते हैं, जिसमें शारीरिक और लाक्षणिक दोनों शामिल होते हैं और विश्वास किया जाता है कि दिल की सेहत के विभिन्न पहलुओं के अलावा यह भावनात्मक स्थिरता, रुमानी दृष्टिकोण, अवसाद व सामाजिक व्यवहार प्रदार्शित करती हैं.
हस्तरेखाविद् द्वारा की पहचान की जाने वाली अगली रेखा मस्तिष्क रेखा होती है. यह रेखा तर्जनी उंगली के नीचे से शुरू होकर हथेली होते हुए बाहर के किनारे की ओर बढ़ती है. अक्सर मस्तिष्क रेखा शुरुआत में जीवन रेखा के साथ जुड़ी होती है (नीचे देखें). हस्तरेखाविद् आम तौर पर इस रेखा की व्याख्या व्यक्ति के मन के प्रतिनिधि कारकों के रूप में करते हैं और जिस तरह से यह काम करती है, उनमें सीखने की शैली, संचार शैली, बौद्धिकता और ज्ञान की पिपासा भी शामिल होती है. माना जाता है कि यह सूचना के प्रति रचनात्मक या विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण की प्राथमिकता (यानी, दाहिना दिमाग या बांया दिमाग) का संकेतक होती है.
अंत में, हस्तरेखाविद् संभवत: सबसे विवादास्पद रेखा-जीवनरेखा को देखते हैं.
यह रेखा अंगूठे के ऊपर हथेली के किनारे से निकलती है और कलाई की दिशा में मेहराब की शक्ल में बढ़ती है. माना जाता है कि यह रेखा व्यक्ति की ऊर्जा और शक्ति, शारीरिक स्वास्थ्य और आम खुशहाली का प्रतिनिधित्व करती है. ऐसा भी माना जाता है कि जीवन रेखा दुर्घटनाओं, शारीरिक चोट, पुनर्स्थापन सहित जीवन में आने वाले बदलावों को प्रतिबिंबित करती है. आम धारणा के विपरीत, आधुनिक हस्तरेखाविद् आम तौर पर यह विश्वास नहीं करते कि एक व्यक्ति की जीवन रेखा की लंबाई के व्यक्ति की उम्र से जुड़ी हुई है.

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ज्योत्षी हथेली पढ़ने कि हस्तरेखा कला

हथेली को पढ़कर लक्षण का वर्णन और भविष्य बताने की कला है जिसे हस्तरेखा अध्ययन या हस्तरेखा शास्त्र भी कहा जाता है. इस कला का प्रयोग कई सांस्कृतिक विविधताओं के साथ दुनिया भर में देखा जाता है. जो हस्तरेखा पढ़ते हैं, उन्हें आम तौर पर हस्तरेखाविद् , हथेली पढ़ने वाला , हाथ पढ़ने वाला , हस्तरेखा विश्लेषक या हस्तरेखा शास्त्री भी कहा जाता है.
हस्तरेखा शास्त्र को आम तौर पर छद्म विज्ञान माना जाता है. नीचे उल्लिखित जानकारी संक्षेप में आधुनिक हस्तरेखा शास्त्र के मुख्य तत्व है, जिनमें से कई विभिन्न रेखाओं की व्याख्या अक्सर विरोधाभासी होती हैं
हस्तरेखा शास्त्र की जड़ें चीनी वाईजिंग(आई चिंग),भारत में (हिंदू) ज्योतिष शास्त्र (संस्कृत में ज्योतिष कहा जाता है.) और रोमा (जिप्सी) भविष्यवेत्ता से जुड़ी हुई हैं. माना जाता है कि हिंदू ऋषि वाल्मीकि ने एक पुस्तक लिखी, जिसके शीर्षक का अंग्रेजी अनुवाद "द टीचिंग्स ऑफ वाल्मीकि महर्षि ऑन मेल पामिस्ट्री" होगा और जिसमें 567 श्लोक हैं. भारत से, हस्तरेखा कला का चीन, तिब्बत, मिस्र, फारस और यूरोप के अन्य देशों में प्रसार हुआ. चीन से, हस्तरेखा शास्त्र का यूनान में प्रसार हुआ, जहां अनेक्सागोरस ने इसका प्रयोग किया. लेकिन, आधुनिक हस्तरेखा शास्त्री अक्सर भविष्य करने वाली पारंपरिक तकनीक को मनोविज्ञान, संपूर्ण निदान, अनुमान के वैकल्पिक तरीकों से भी जोड़ते रहे हैं.
हस्तरेखा शास्त्र में हाथ व्यक्ति की हथेली को "पढ़कर" उसके चरित्र या भविष्य के जीवन का मूल्यांकन किया जाता है. विभिन्न "लाइनों" ("दिल की रेखा", "जीवन रेखा", आदि) और "उठान" या (उभार) (हस्तरेखा शास्त्र), को पढ़कर अनुमानत: उनके संबद्ध आकार, गुण और अंतरशाखाओं के संबंध में सुझाव दिये जाते हैं. कुछ रिवाजों में हस्तरेखा पढ़ने वाले उंगलियों, नाखूनों, उंगलियों के निशान और व्यक्ति की त्वचा की रेखाओं (डर्मेटोग्लिफिक्स), त्वचा की बुनावट व रंग, आकार, हथेली के आकार और हाथ का लचीलापन भी देखते हैं.
एक हस्तरेखाविद् आमतौर पर व्यक्ति के 'प्रमुख हाथ' (जिससे वह लिखता है/लिखती है या जिसका सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है) (जो कभी-कभी सचेत मन का प्रतिनिधित्व करता है और दूसरा हाथ अवचेतन का संकेत करता है). हस्तरेखा विज्ञान की कुछ परंपराओं में दूसरे हाथ को वंशानुगत या परिवार के लक्षणों को धारण किया हुआ या हस्तरेखाविद् के ब्रह्माण्ड संबंधी विश्वासों पर आधारित माना जाता है, जिससे अतीत के जीवन या पूर्व जन्म की शर्तों के बारे में जानकारी मिलती है.
"शास्त्रीय" हस्तरेखा शास्त्र के लिए बुनियादी ढांचे (जो सबसे व्यापक रूप से सिखाया जाता है और परंपरागत रूप से प्रचलित है) की जड़ यूनानी पौराणिक कथाओं में निहित हैं. हथेली और उंगलियों का प्रत्येक क्षेत्र एक देवी या देवता से संबंधित है और उस क्षेत्र की विशेषताएं विषय के इसी पहलू की प्रकृति का संकेत है. उदाहरण के लिए, अनामिका अपोलो यूनानी देवता के साथ जुड़ी़ है; अंगूठी वाली इस उंगली की विशेषताएं कला, संगीत, सौंदर्यशास्त्र, शोहरत, धन और सद्भाव सं संबद्ध विषयों की विवेचना के दौरान देखीं जाती हैं
बाएं और दाएं हाथ का महत्व

यद्यपि इस बात पर बहस होती रही है कि कौन सा हाथ पढ़ना बेहतर है, पर दोनों का अपना महत्व है. यह मानने का रिवाज है कि बांया हाथ व्यक्ति की संभावनाओं को प्रदर्शित करता है, और दाहिना सही व्यक्तित्व का प्रदर्शक होता है. कुछ का कहना है कि महत्व इस बात का है कि कौन सा हाथ देखा जाता है. "दाहिने हाथ से भविष्य और बाएं से अतीत देखा जाता है." "बायां हाथ बताता है कि हम क्या-क्या लेकर पैदा हुए हैं और दाहिना दिखाता है कि हमने इसे क्या बनाया है." "दाहिना हाथ पुरुषों का पढ़ा जाता है, जबकि महिलाओं का बायां हाथ पढ़ा जाता है." "बांया हाथ बताता है कि ईश्वर ने आपको क्या दिया है, और दायां बताता है कि आपको इस संबंध में क्या करना है."
लेकिन इन सब कहने की बातें हैं, वृत्ति और अनुभव ही आपको बेहतर ढंग से बतायेगा कि आखिर में कौन सा हाथ पढ़ना ठीक रहेगा.
वाम हाथ को दाहिने मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होने के लिए छोड़ दें, (नमूने की पहचान, संबंधों की समझ-बूझ) जिससे व्यक्ति की आंतरिक खासियतों, उसकी प्रकृति, आत्म, स्त्रैण गुण, और समस्याओं के निदान का सोच प्रतिबिंबित होता है. इसे एक व्यक्ति के आध्यात्मिक और व्यक्तिगत विकास का एक हिस्सा माना जा सकता है. यह व्यक्तित्व का "स्त्रैण" हिस्सा (स्त्रैण और ग्रहणशील) है.
इसके विपरीत दाहिना हाथ बाईं मस्तिष्क (तर्क, बुद्धि और भाषा) द्वारा नियंत्रित होता है, जो बाहरी व्यक्तित्व, आत्म उद्देश्य, सामाजिक माहौल का प्रभाव, शिक्षा और अनुभव को प्रतिबिंबित करता है. यह रैखिक सोच का प्रतिनिधित्व करता है. यह व्यक्तित्व के "स्त्रैण" पहलू (पुरुष और जावक) से मेल खाता है.

अंगूठे के हर पर्व में है ज्योतिष ज्ञान



imageअक्सर आपने किसी का उत्साह बढ़ाने के लिए अपनी हथेली की चारों उंगलियों को मोड़ कर अंगूठा ऊपर की ओर दिखाया होगा या किसी और को ऐसा करते देखा होगा। वास्तव में इसके पीछे एक बड़ा तथ्य यह है कि अंगूठा हमारी पूरी हथेली का प्रतिनिधित्व करता है और यह इच्छा शक्ति एवं मन को बल प्रदान प्रदान करता है। हस्तरेखा शास्त्र यानी पामिस्ट्री में तो अंगूठे के हर पोर का विशेष महत्व है।
हस्तरेखीय ज्योतिष अंगूठे को ज्ञान का पिटारा कहता है जिसके हरेक पोर में व्यक्ति के विषय में काफी रहस्य छुपा होता है। इस पिटारे की एक मात्र चाभी है हस्त रेखा विज्ञान का सूक्ष्म ज्ञान अर्थात जिसने हस्तरेखा विज्ञान का सूक्ष्मता से अध्ययन किया है वह इस पर लगा ताला खोल सकता है। आप भी अगर हस्तरेखा विज्ञान को गहराई से समझने के इच्छुक हैं तो आपको भी अंगूठे पर दृष्टि जमानी होगी अन्यथा इस शास्त्र में आप कच्चे रह जाएंगे अर्थात "अंगूठा टेक" ही रह जाएंगे।

अंगूठे के विषय में जानकारी हासिल करने के लिए सबसे पहले तो आप अपना अंगूठा गौर से देखिये, आप देखेंगे कि अंगूठा हड्डियों के दो टुकड़ों से मिलकर बना है और अन्य उंगलियो की तरह इसके भी तीन पर्व यानी पोर हैं। इसके तीनों ही पर्व व्यक्ति के विषय में अलग अलग कहानी कहती है।

अंगूठे का पहला पर्व (First Part of the Thumb): 

सामुद्रिक ज्योतिष के अनुसार जिस व्यक्ति के अंगूठे का पहला पर्व लम्बा होता है वह व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होता है और अपना जीवन पथ स्वयं बनता है। ये आत्मनिर्भरता में यकीन करते हैं और सजग रहते हैं। हथेली का पहला पर्व लम्बा हो यह तो अच्छा है लेकिन अगर यह बहुत अधिक लम्बा है तो यह समझ लीजिए कि व्यक्ति असामाजिक गतिविधियों को अंजाम देने वाला है, यह खतरनाक काम कर सकता है। दूसरी ओर जिस व्यक्ति के अंगूठे का पहला पर्व छोटा होता है वह दूसरों पर निर्भर रहते हैं और जिम्मेवारी भरा निर्णय नहीं ले पाते हैं। ये काम को गंभीरता से नहीं लेते हैं। पहला पर्व अगर चौड़ा है तो समझ लीजिए यह व्यक्ति मनमानी करने वाला अर्थात जिद्दी है। जिनका पहला पर्व लगभग समकोण जैसा दिखता हो उनके साथ होशियारी से पेश आने की जरूरत होती है क्योंकि ये काफी चालाक और तेज मस्तिष्क वाले होते हैं।

अंगूठे का दूसरा पर्व (Second Part of the Thumb): 

अंगूठे का दूसरा भाग लम्बा होना बताता है कि व्यक्ति चालाक और सजग है (People whose Second Phalange is long are cautious and cunning)। यह व्यक्ति सामाजिक कार्यों एवं जनसेवा के कार्यों में सक्रिय रहने वाला है। दूसरा पूर्व जिनका छोटा होता है वे बिना आगे पीछे सोचे काम करने वाले होते हैं परिणाम की चिंता नहीं करते यही कारण है कि ये ऐसा काम कर बैठते हैं जो जोखिम और खतरों से भरा होता है। दूसरा पर्व अंगूठे का दबा हुआ है तो यह बताता है कि व्यक्ति गंभीर और संवेदशील है और इनकी मानसिक क्षमता अच्छी है।

अंगूठे का तीसरा पर्व (Third Part of the Thumb): 

अंगूठे का तीसरा पर्व वास्तव में शुक्र पर्वत का स्थान होता है जिसे व्यक्ति विश्लेषण के समय अंगूठे के तीसरे पर्व के रूप में लिया जाता है (Mount of the Venus is located on the third phalange of the thumb)। यह पर्व अगर अच्छी तरह उभरा हुआ है और गुलाबी आभा से दमक रहा है तो यह मानना चाहिए कि व्यक्ति प्यार और रोमांस में काफी सक्रिय है। इस स्थिति में व्यक्ति जीवन के कठिन समय को भी हंसते मुस्कुराते गुजराना जानता है। यह पर्व अगर सामान्य से अधिक उभरा हुआ है तो यह जानना चाहिए कि व्यक्ति में काम की भावना प्रबल है यह इसके लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है। अंगूठे का तीसरा पर्व अगर सामन्य रूप से उभरा नहीं है और सपाट है तो यह कहना चाहिए कि व्यक्ति प्रेम और उत्साह से रहित है।

उम्मीद है आप अंगूठे की महिमा पूरी तरह समझ चुके होंगे, तो अब से अंगूठे को गौर से देखिए और व्यक्ति को पहचानिए।

जिसके हाथों में हो त्रिभूज उसकी तो ऐश है

बहुत लोगों की इच्छा होती है कि उनका जीवन बहुत ऐश्वर्यशाली हो और उन्हें सभी भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त हो। बहुत पैसा हो और समाज में मान-सम्मान हो। ऐसी मनोकामनाएं तो काफी लोगों की होती हैं लेकिन यह जीवन सभी को प्राप्त नहीं होता। कुछ लोगों के हाथों में कुछ विशेष चिन्ह होते हैं वे जरूर ऐश्वर्यशाली जीवन व्यतीत करते हैं। हस्तरेखा ज्योतिष में कई ऐसे चिन्ह बताए गए हैं जो व्यक्ति को मालामाल बनाते हैं और सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त कराते हैं।
हस्तरेखा ज्योतिष में जितना महत्व रेखाओं तथा पर्वतों का है। उतना ही महत्व हाथों में बनने वाले छोटे-छोटे चिन्हों का भी है। इन चिन्हों मे से ही एक चिन्ह त्रिभुज का है। जानिए इस चिन्ह के होने का हमारे भाग्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- त्रिभुज हाथ में सपष्ट रेखाओं से मिलकर बना हो तो वह शुभ व फलदायी कहा जाता है।
-हथेली में जितना बड़ा त्रिभुज होगा उतना ही लाभदायक होगा।
-बड़ा त्रिभुज व्यक्ति के विशाल हृदय का परिचायक है।
-यदि व्यक्ति के हाथ में एक बड़े त्रिभुज में छोटा त्रिभुज बनता है तो व्यक्ति को निश्चय ही जीवन मे उच्च पद प्राप्त होता है।
-हथेली के मध्य बड़ा त्रिभुज हो तो वह व्यक्ति समाज में खुद अपनी पहचान बनाता है। ऐसा व्यक्ति ईश्वर पर विश्वास रखने वाला व उन्नतशील होता है।
- यदि त्रिभुज असपष्ट हो तो ऐसा व्यक्ति संर्कीण मनोवृति वाला होता है।