धूल वशीकरण-
१॰ “धूल-धूल-तू धूल की रानी, जगमोहन सुन मोर बानी। जल से धुला आन पढूँ, तब पार्वती वरदान धूलि पड़ि। दू अमुकी अंग, जो जलती आती उमंग, उसका मन लावे निकाल, हमारी वश्यता करे स्वीकार।।”
विधि- सिद्धि हेतु ‘होली’ की रात्रि में ११ माला जप करे। प्रयोग के समय साध्या के बाँए पैर की मिट्टी लेकर उसे उक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करे। मन्त्र में ‘अमुकी’ शब्द के स्थान पर साध्या का नाम कहे। फिर एक चुटकी मिट्टी साध्या के सिर पर सावधानी-पूर्वक डाले।
२॰ ॐ नमो आदेश गुरु का, धूली-धूली विकट चाँदनी पर मारु धूली। फिर दिवाना महल तजे, घर-दुआर तजे, ठाठा भरतार तजे। देवी-दिवानी एक सठी फलवान, तू नरसिंह वीर। ‘अमुकी’ को उठाय ला। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा।”
विधि- ‘सिद्धि’ हेतु किसी शनिवार से उक्त मन्त्र का जप प्रारम्भ करे। जप २१ दिन तक करे। प्रयोग के समय जिस स्त्री की मृत्यु शनिवार को हुई हो, श्मशान-क्रिया के पश्चात् उसके पैर की ओर का अंगार (कोयला) लाए तथा चौराहे की चुटकी भर धूल लेकर उसमें कोयले को पीस कर मिलाए। फिर उक्त मन्त्र से उसे ७ बार अभिमन्त्रित कर युक्ति-पूर्वक साध्या के शरीर पर डाले।
३॰ “ॐ नमः धूली धूलेश्वरी, मातु परमेश्वरी, चञ्चती जय इनारन। चोप भरे छार-छारते में हटे, देता घर-बार, करे तो मशान लौटे। जीवे तो पाव लौटे। वचन बाँधी। ‘अमुकी’ को धाई लाव, मातु धूलेश्वरी। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा। ठः ठः स्वाहा।”
विधि- सिद्धि हेतु ७ शनिवार (केवल शनिवार को) उक्त मन्त्र १४४ बार जपे। १४४ की संख्या को ध्यान में रखे। कम या ज्यादा न जपे। अन्तिम ७वें शनिवार को जप कर, ‘रविवार’ के दिन जो स्त्री मरे व जिसका रविवार को ही दाह-कर्म हो, उसकी चिता से तीन चुटकी राख लेकर उसमें चौराहे की थोड़ी धूल मिलाए। फिर उसे उक्त मन्त्र से अभीमन्त्रित कर ‘साध्या’ पर डाले। मन्त्र में ‘अमुकी’ के स्थान पर साध्या का नाम ले।
४॰ “खरी सुपारी, टाम नगारी। राजा परजा, खरी पियारी। मन्त्र पढ़ लगाऊ, तो रहिया कलेजा लावे दौड़, जीवित चाटै पग-तली। मूवे सेवे मसान या शब्द की मारी, न लावे तो जयी हनुमन्त की आन। शब्द साँचा, पिण्ड कांचा। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा।”
विधि- पहमे ‘सूर्य’ या ‘चन्द्र’ ग्रहण में ३ माला जप करे। फिर सामान्य दिनों में ‘शनिवार’ से जप प्रारम्भ करे तथा नित्य २१ दिन तक एक माला जप करे। प्रयोग के समय सुपारी पर उक्त मन्त्र सात बार पढ़कर फूँक मारे और साध्या को खाने के लिए दे।
१॰ “धूल-धूल-तू धूल की रानी, जगमोहन सुन मोर बानी। जल से धुला आन पढूँ, तब पार्वती वरदान धूलि पड़ि। दू अमुकी अंग, जो जलती आती उमंग, उसका मन लावे निकाल, हमारी वश्यता करे स्वीकार।।”
विधि- सिद्धि हेतु ‘होली’ की रात्रि में ११ माला जप करे। प्रयोग के समय साध्या के बाँए पैर की मिट्टी लेकर उसे उक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करे। मन्त्र में ‘अमुकी’ शब्द के स्थान पर साध्या का नाम कहे। फिर एक चुटकी मिट्टी साध्या के सिर पर सावधानी-पूर्वक डाले।
२॰ ॐ नमो आदेश गुरु का, धूली-धूली विकट चाँदनी पर मारु धूली। फिर दिवाना महल तजे, घर-दुआर तजे, ठाठा भरतार तजे। देवी-दिवानी एक सठी फलवान, तू नरसिंह वीर। ‘अमुकी’ को उठाय ला। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा।”
विधि- ‘सिद्धि’ हेतु किसी शनिवार से उक्त मन्त्र का जप प्रारम्भ करे। जप २१ दिन तक करे। प्रयोग के समय जिस स्त्री की मृत्यु शनिवार को हुई हो, श्मशान-क्रिया के पश्चात् उसके पैर की ओर का अंगार (कोयला) लाए तथा चौराहे की चुटकी भर धूल लेकर उसमें कोयले को पीस कर मिलाए। फिर उक्त मन्त्र से उसे ७ बार अभिमन्त्रित कर युक्ति-पूर्वक साध्या के शरीर पर डाले।
३॰ “ॐ नमः धूली धूलेश्वरी, मातु परमेश्वरी, चञ्चती जय इनारन। चोप भरे छार-छारते में हटे, देता घर-बार, करे तो मशान लौटे। जीवे तो पाव लौटे। वचन बाँधी। ‘अमुकी’ को धाई लाव, मातु धूलेश्वरी। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा। ठः ठः स्वाहा।”
विधि- सिद्धि हेतु ७ शनिवार (केवल शनिवार को) उक्त मन्त्र १४४ बार जपे। १४४ की संख्या को ध्यान में रखे। कम या ज्यादा न जपे। अन्तिम ७वें शनिवार को जप कर, ‘रविवार’ के दिन जो स्त्री मरे व जिसका रविवार को ही दाह-कर्म हो, उसकी चिता से तीन चुटकी राख लेकर उसमें चौराहे की थोड़ी धूल मिलाए। फिर उसे उक्त मन्त्र से अभीमन्त्रित कर ‘साध्या’ पर डाले। मन्त्र में ‘अमुकी’ के स्थान पर साध्या का नाम ले।
४॰ “खरी सुपारी, टाम नगारी। राजा परजा, खरी पियारी। मन्त्र पढ़ लगाऊ, तो रहिया कलेजा लावे दौड़, जीवित चाटै पग-तली। मूवे सेवे मसान या शब्द की मारी, न लावे तो जयी हनुमन्त की आन। शब्द साँचा, पिण्ड कांचा। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा।”
विधि- पहमे ‘सूर्य’ या ‘चन्द्र’ ग्रहण में ३ माला जप करे। फिर सामान्य दिनों में ‘शनिवार’ से जप प्रारम्भ करे तथा नित्य २१ दिन तक एक माला जप करे। प्रयोग के समय सुपारी पर उक्त मन्त्र सात बार पढ़कर फूँक मारे और साध्या को खाने के लिए दे।
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