केतु शान्ति के उपाय-
यदि आपकी जन्म कुण्डली में केतु अशुभ फल दे रहा हो तो निम्न उपाय करने से उसकी अशुभता में कमी लायी जा सकती है।वैदिक मंत्र- ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्य्याऽपेशसे। समुषभ्दिरजायथाः।।
पौराणिक मंत्र- ॐ पलाश पुष्प सकाशं तारका ग्रह मस्तकम्। रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।
तंत्रोक्त मंत्र- ॐ स्रां, स्रीं, स्रौं, सः केतवे नमः।
केतु गायत्री- ॐ पद्म पुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु प्रचोदयात्।।
जप संख्या- 17000
रत्न- केतु हेतु लहसुनिया रत्न पंचधातु की अंगुठी में विधिवत् धारण करनी चाहिए।
दान हेतु वस्तुएं- लोहा, बकरा, नारियल, तिल, सप्तधान्य, धूम्र वर्ण का वस्त्र, लोहे का चाकू, कपिला गाय दक्षिणा सहित दान करनी चाहिए।
अन्य उपाय- श्री गणेश जी की उपासना, कुत्तों को चपाती देना, पक्षियों को दाना देना लाभकारी होता है।
राहु ग्रह की शान्ति के उपाय-
यदि जन्म कुण्डली में राहु अशुभ फल दे रहा हो तो निम्न उपाय करने से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।वैदिक मंत्र- ॐ कयानश्चित्रऽआभुवदूती सदावृधः सखा कया शचिष्ठया वृता।
पौराणिक मंत्र- ॐ अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्य विमर्दनम्। सिंहिका गर्भ सम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।
तंत्रोक्त राहु मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
राहु गायत्री मंत्र – ॐ शिरो रूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात्।।
जप संख्या- 18000 हजार ।
रत्न- राहु ग्रह की शांति हेतु गोमेद रत्न धारण किया जाता है
राहु दान सामग्री- सप्तधान्य, गोमेद, सीसा, काला घोड़ा, तिल, चांदी का सर्प, उड़द, कम्बल, नारियल, काला या नीला वस्त्र, तलवार।
शनि की शान्ति के लिए उपाय
शनि की शान्ति के लिए उपाय- शनि देव यदि जन्म कुण्डली में अशुभ फल दे रहे हों तो निम्न उपायों से शुभ लाभ लिया जा सकता है।वैदिक मंत्र- ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंय्यो रभिस्त्रवन्तु नः।
पौराणिक मंत्र- ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
तंत्रोक्त मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
जप संख्या- 23000।
शनि गायत्री- ॐ भग्भवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो सौरी:प्रचोदयात।
दान की वस्तुएं- लोहा, तिल, उड़द, सरसों का तेल, काला वस्त्र, काली गाय, कुल्थी, लौह निर्मित पात्र, जूता, भैंस, कस्तूरी, सुवर्ण, नारियल, काले अथवा नीले पुष्प।
रत्न- शनि के शुभत्व में वृद्धि हेतु नीलम रत्न धारण किया जाता है।
अन्य उपाय- शनिवार का व्रत रखना चाहिए। शिव स्तोत्र व शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शनि यंत्र धारण करना चाहिए। हनुमान जी की उपासना से भी लाभ होता है। पक्षियों व मछलियों को आटा डालना व मांसादि का परहेज करना चाहिए।
शुक्र ग्रह के शान्ति के उपाय-
शुक्र ग्रह के शान्ति के उपाय-वैदिक मंत्र - ॐ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा क्षत्रं पयः सोमं प्रजापति। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं वियान ℧ शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।
पौराणिक मंत्र - ॐ हिम कुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम् सर्व शास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।
तन्त्रोक्त मंत्र - ॐ द्रां, द्रीं दौं सः शुक्राय नमः।
जप संख्या – 16000।
शुक्र गायत्री मंत्र - ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्।।
दान की वस्तुएं- चांदी चावल, सुवर्ण, दूध, दही, श्वेत वस्त्र, श्वेत घोड़ा, श्वेत पुष्प, श्वेत फल, सुगन्धित पदार्थ, दक्षिणा।
रत्न - शुक्र ग्रह हेतु हीरा धारण किया जाता है।
अन्य उपाय - शुक्रवार का व्रत धारण करना चाहिए। कुष्ट रोगियों को शुक्रवार के दिन खिचड़ी खिलाना शुभ होता है। शुक्रवार को माता संतोषी की पूजा कर श्वेत चन्दन का तिलक लगायें।
गुरु ग्रह की शान्ति हेतु उपाय
गुरु ग्रह की शान्ति हेतु उपाय- यदि जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह अशुभ फल दे रहा हो तो निम्नांकित मंत्रों के जप करने से इसकी अशुभता में कमी आ जाती है।वैदिक मंत्र- ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।
पुराणोक्त मंत्र- ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
तंत्रोक्त मंत्र- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः ।
जप संख्या- 19000।
गुरु गायत्री मंत्र- ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्।।
रत्न- गुरु के शुभत्व में वृद्धि हेतु सोने या चांदी में सवा पांच रत्ती का पुखराज शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए।
यंत्र- गुरु यंत्र को सोने या चांदी के पत्र पर लिखवाकर या भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखकर पूजा प्रतिष्ठा करवाकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करना चाहिए।
दान सामग्री- पीले वस्त्र, पुखराज, पीले चावल, चने की दाल, हल्दी, शहद,पीले फल, घी धर्म ग्रन्थ, सुवर्ण पीली मिठाई दक्षिणा आदि।
अन्य उपाय- गुरु की प्रसन्नता हेतु बृहस्पति वार का व्रत धारण करना चाहिए। पीले पुष्पों से पूजन करना चाहिए, केशर का तिलक लगाना चाहिए, श्री विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना, गौ सेवा करना, पीले वस्त्रों का प्रयोग करना, व दानादि से इनकी अशुभता को कम किया जा सकता है।
बुध ग्रह के शान्ति के उपाय-
कुण्डली में बुध ग्रह की अशुभता को निम्न उपायों से कम किया जा सकता है।वैदिक मंत्र- ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते स℧ सृजेथामयं च। अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।
पुराणोक्त बुध मंत्र- ॐ प्रियंगु कलिका श्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्। सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।
तंत्रोक्त बुध मंत्र- ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
जप संख्या- 9000।
दान की वस्तुएं- चीनी, हरे पुष्प, हरी इलाइची, मूंग दाल, कांस्य पत्र, पन्ना सोना, हाथी दांत, हरी सब्जी हरा कपड़ा।
रत्न- हरे रंग का पन्ना सवा पांच रत्ती से अधिक सोने की अंगुठी में विधि पूर्वक हाथ की कनिष्ठिका या अनामिका में धारण करें।
यंत्र- बुध के यंत्र को चांदी कं पत्र पर खुदवाकर या भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखवाकर उसकी विधिवत पूजा कर दायें भुजा में धारण करें।
अन्य उपाय- दुर्गा सप्तशती का पाठ व विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना चाहिए। भगवान गणेश जी की आराधना भी लाभप्रद होती है।
मंगल ग्रह शान्ति के उपाय-
मंगल ग्रह शान्ति के उपाय- मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए तथा मंगली दोष के शान्ति हेतु निम्न उपाय करने से इन दोषों का प्रभाव कम हो जाता है।वैदिक मंत्र- ॐ अग्निमूर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्या अयम्। अपा℧ रे ता℧ सिजिन्वति।।
पुराणोक्त मंत्र- ॐ धरणी गर्भ संभूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम्।कुमारं शक्ति हस्तं ते मंगल प्रणमाम्यहम्।।
तन्त्रोक्त मंत्र- ॐ क्रां क्री क्रौं सः भौमाय नमः।
जप संख्या- 10000
मंगल गायत्री मंत्र- ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात्।
दान सामग्री- मसूर की दाल, घी, सुवर्ण, मूंगा, ताम्र बर्तन, कनेर पुष्प, लाल चन्दन, लाल वस्त्र, केशर, नारियल, मीठी रोटी, गेहूं , मंगल का दान युवा ब्राह्मण को देना लाभप्रद रहता है।
रत्न- मंगल ग्रह को बली बनाने हेतु सवा पांच रत्ती से आठ रत्ती तक मूंगा सोने या तांबे की अंगूठी अनामिका में शुभ मूहूर्त में धारण करें।
यंत्र- मंगल यंत्र को ताम्रपत्र पर खुदवाकर मंगल की होरा में या भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखकर विधिवत पूजा कर गले में या दायें बाजू में धारण करना चाहिए।
अन्य उपाय- मंगल वार का व्रत धारण करना चाहिए, मंगली दोष के कारण यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा हो तो मंगला गौरी का व्रत लगातार सात मंगलवार करने से लाभ होता है। हनुमान चालीसा का पाठ व उपासना करनी चाहिए। जटा नारियल में सिंदूर, मौली को लाल वस्त्र में लपेटकर मंत्र सहित चलते पानी में बहाना, गाय को मीठी रोटी खिलाना, आदि लाभप्रद रहते हैं ।
चन्द्र ग्रह शांति के उपाय
चन्द्र ग्रह शांति के उपाय– जन्म कुंडली में चंद्र ग्रह यदि अशुभ कारक हो तो निम्न लिखित मन्त्रों का जप करने से चंद्र ग्रह की शांति हो जाती है।
वैदिक मंत्र– ॐइमं देवा
असपत्न℧ सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठाय महते
जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश
वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणाना ℧ राजा।
पुराणोक्त मंत्र- ॐ दधिशंख, तुषाराम्भं क्षीरोदार्णव सम्भवम्।नमामि शशिनं सोमं शंभोः मुकुट भूषणम्।।
स्नान तथा दान काल में यह मंत्र का उच्चारण लाभप्रद होता है।
तंत्रोक्त मंत्र- ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
चन्द्रमा के जप की संख्या 11000 है।
चन्द्र गायत्री मंत्र- ॐ अमृतांगाय विद्महे कला रूपाय धीमहि तन्नो सोमः प्रचोदयात्।
अर्घ्य मंत्र- ॐ सों सोमाय नमः।
चन्द्र रत्न- चन्द्र ग्रह की अशुभता के निवारण हेतु मोती रत्न धारण किया जाता है।
औषधि स्नान – चन्द्र ग्रह की शांति के
लिए पंचगव्य, बेल गिरी, गजमद, शंख, सिप्पी,श्वेत चंदन, स्फटिक से स्नान
करना चंद्रमा जनित अनिष्ट प्रभावों को कम करता है। भगवान शिव का पूजन
सोमवार के दिन करना तथा पूर्ण चन्द्र के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य प्रदान
करने से चन्द्र ग्रह की शांति हो जाती है।
चन्द्र यंत्र- चन्द्रमा ग्रह की
शान्ति हेतु चन्द्र होरा में चांदी के पत्र में चन्द्र यंत्र खुदवाकर या
अष्टगन्ध से भोजपत्र पर लिखकर उसकी विधिवत, पूजन कर गले या दाहिनी भुजा में
धारण करना चाहिए। अन्य उपाय- सोमवार का व्रत रखकर चावल सफेद वस्त्र, आदि
सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए। सोमवार को प्रातः काल स्नानादि करके भगवान
शंकर की मूर्ति पर जल तथा दूध चढाना चाहिए।
सूर्य ग्रह शान्ति
यदि कुण्डली में कोई ग्रह योग कारक होकर अशुभ फल दे रहा हो उस ग्रह का विधि पूर्वक पूजन अवश्य करना चाहिए। आज हम ग्रहों के शान्ति हेतु जप, मंत्र, दान आदि की विधि बता रहे हैं।सूर्य ग्रह के शान्ति हेतु उपाय- सूर्य ग्रह हमारे संसार के नियोक्ता व शक्ति के प्रमुख स्रोत हैं।
वेदोक्त मंत्र - ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मत्र्यं च।हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।
पुराणोक्त मंत्र – जपा कुसुम संकाशं काशिपेयं महाद्युतिम। तमोऽरिं सर्व पापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।
सूर्य गायत्री मंत्र - ॐ आदित्याय विद्महे भास्कराय धीमहि तन्नो भानुः प्रचोदयात्।
तंत्रोक्त सूर्य बीज मंत्र -ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:
लघु मंत्र -ॐ घृणि सूर्याय नमः।
सूर्यार्घ्य मंत्र – एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्तया गृहाणार्घ्यदिवाकरः।।
सूर्य नारायण जी की जप संख्या 7000 है। मंत्र संख्या का विधिवत जप करके दशांश हवन करना चाहिए।
सूर्य दान - सूर्य दान हेतु वस्तुऐं गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, घी, सुवर्ण, माणिक्य, ताम्रपात्र, नारियल, लालचन्दन, लाल फूल, दक्षिणा, लाल दाल।
समय – सूर्य दानादि का समय सूर्योदय काल है।
सूर्य व्रत - रविवार का व्रत करने से सूर्य नारायण प्रसन्न होते हैं। व्रत का विधान हम पहले बता चुके हैं।
सूर्य रत्न – सूर्य ग्रह को बली बनाने हेतु माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।
सूर्य यंत्र – सूर्य यंत्र को तांबे पर खुदवाकर उसका नित्य पूजन करना चाहिए। सूर्य यंत्र को भोजपत्र पर अष्टगन्ध से लिखकर गले या दाहिने हाथ के बाजू पर धारण करना चाहिए।
औषधि स्नान- सूर्य ग्रह की शान्ति के लिए इलाइची, देवदारू, केशर, खस, रक्त पुष्प, रक्त चन्दन, कनेर पुष्प, गंगाजल, मनः शिला को मिलाकर रविवार के दिन स्नान करने से अत्यन्त लाभ प्राप्त होता है।इसके अलावा रविवार को केसर तिलक लगाना, सूर्य गायत्री, आदित्य हृदय स्तोत्र, एवं सूर्य कवच का पाठ, श्री विष्णु भगवान की उपासना करना लाभकारी होता है। रविवार के दिन अन्धाश्रम कुष्टाश्रम, अस्पताल में पकाये अन्न का दान करना लाभप्रद होता है।
सूर्य शान्ति के अन्य उपाय- सूर्योदय काल में ताम्रपात्र से भगवान सूर्य नारायण को जल दूध, पुष्प, गंध, लाल चन्दन आदि लेकर पूर्वाभिमुख होकर अर्घ्य देना चाहिए। रविवार के दिन नमक का परहेज रखें, ग्यारह रविवार पर्यनत केवल दही और चावल का सेवन करना चाहिए। रविवार के दिन लाल वर्ण की गाय को गुड़ मिलाकर आटा खिलावें।
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पुराणोक्त मंत्र का जाप किसी जजमान के लिए किया जा सकता है क्या
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