सोमवार, 3 अक्तूबर 2016

बालों की समस्याओं में उपयोगी हैं ये 3 आयुर्वेदिक तेल

स्वस्थ और सुन्दर बालों की चाहत सबको होती है। अगर आपके बाल स्वस्थ हैं तो आप काफी अच्छे लगते हैं और हर कोई आपके आकर्षक व्यक्तित्व से प्रभावित हो जाता है। लेकिन आजकल धूल-मिटटी और प्रदूषण के कारण बाल रूखे व बेजान हो जाते हैं। इसलिए बालों की देखरेख करना काफी मुश्किल हो जाता है। लेकिन अगर आप उचित तरह से अपने बालों की देखभाल करें तो इस परेशानी का हल निकाला जा सकता है।

आयुर्वेदिक तेल बालों की अधिकतर समस्याओं को दूर करते हैं जैसे कि बालों का झड़ना, डैंड्रफ, बालों का सफ़ेद होना आदि। ये बालों को सिल्की, चमकदार और घना बनाते हैं। आयुर्वेदिक तेलों की मदद से बालों की सभी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। यह तेल स्कैल्प में जाकर बालों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं।

आइए जानते हैं 3 तरह के आयुर्वेदिक तेल और उन्हें बनाने की विधि के बारे में 

1.  गुड़हल का तेल
काफी पुराने समय से ही बालों की समस्याओं को दूर करने के लिए गुड़हल के तेल का प्रयोग होता आ रहा है। गुड़हल के तेल से बालों की मसाज की जाए तो बाल काले, घने और सुंदर बनते हैं। साथ ही इस तेल को लगाने से बालों को समय से पहले सफ़ेद होने से बचाया जा सकता है। यह बालों को काला और चमकदार बनाता है। साथ ही यह बालों को झड़ने से रोकता है और उन्हें घना और मजबूत बनाता है।
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गुड़हल का तेल बनाने की विधि
इस आयुर्वेदिक तेल को बनाने के लिए एक चम्मच मेथी दाना, करीब 250 ग्राम नारियल का तेल, और गुड़हल के 3-4 फूल व मुट्ठीभर पत्तियों की आवश्यकता होती है। सबसे पहले गुड़हल की फूल और पत्तियां लेकर मिक्सी में उनका पेस्ट तैयार कर लें। अब इस पेस्ट को एक बर्तन में निकाल लें और उसमे नारियल तेल मिलाकर इसे गर्म करें। अब इस पेस्ट को बार-बार चलाते रहे। अब इसमें मेथी दाना डाल दें और इसे एक मिनट तक गर्म करें। गुड़हल का तेल तैयार है। इस तेल को ठंडा होने के बाद छानकर एक बोतल में भर कर रख दें। जब भी इस तेल का उपयोग करें इसे हल्का सा गर्म अवश्य कर लें।
2. आंवले का तेल
आंवले के तेल को बालों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। यह बालों को सफ़ेद होने, झड़ने व कई अन्य समस्याओं से दूर रखता है। यह बालों को काला करने में सहायक है। इसे बालों के लिए सबसे बेहतर आयुर्वेदिक उपचार माना जाता है। इसमें कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो बालों की जड़़ों को मजबूती देते हैं। पहले के समय में महिलाएं इसे नेचुरल डाई के रूप में उपयोग करती थीं। इसका उपयोग असमय होने वाले सफ़ेद बालों को काला करने में किया जाता है।
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ऐसे बनाएं आंवले का तेल
आंवले का तेल बनाने के लिए इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। अब इसका महीन पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अब अपने हेयर ऑयल में मिला कर बोतल का ढक्कन अच्छे से बंद कर दें। आप चाहें तो इसे नारियल के तेल में भी मिला कर रख सकती हैं। इस तेल को सही से मिक्स होने में 1 सप्ताह का समय लगेगा। जब एक हफ्ता पूरा हो जाए तब इसे छानकर एक साफ़ बोतल में भर कर रख दें। इस तेल का इस्तेमाल सप्ताह में एक-दो बार जरूर करें। अपनी अंगुलियों से हल्के-हल्के स्कैल्प की मसाज करें। बाल वॉश करने से 40 मिनट पहले इसे लगाएं।
3. भृंगराज का तेल
भृंगराज को आयुर्वेद में बालों के लिए काफी उपयोगी माना गया है। इसे बालों के तेल का राजा भी कहा जाता है। डैंड्रफ या फिर झड़ते बालों को रोकने के लिए भृंगराज के तेल का इस्तेमाल एक औषधि के रूप में किया जाता है। भृंगराज के तेल से प्रतिदिन स्कैल्प की मालिश की जाए तो बाल स्वस्थ, सुन्दर, काले और घने बनते हैं। साथ ही इसके इस्तेमाल से बालों का गिरना भी कम होता है। साथ ही यह मसतिष्क को ठंडक पहुंचा कर शीतलता भी देता है। 
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भृंगराज के तेल की विधि
सबसे पहले आप भृंगराज की पत्तियों का रस निकाल कर, उसमे उसी अनुपात में नारियल का तेल मिलाएं। अब इस पेस्ट को एक बर्तन में डालकर थोड़ी देर धीमी आंच पर रख दें। जब बर्तन में सिर्फ तेल दिखने लगे तो उसे आंच से उतार कर ठंडा होने दें। अब इसमें आंवले का रस मिलाएं। अगर आंच से उतरने से पहले इसमें आंवले का रस मिलाया जाए तो तेल और अधिक अच्छा बनता है। अगर बालों में डैंड्रफ हो या फिर बाल झड़ने की समस्या हो तो भृंगराज की 15-20 मिलीग्राम पत्तियों का रस निकालें। इसकी पत्तियों से बना तेल भी काफी उपयोगी होता है।

बालों के लिए आयुर्वेदिक तेल

आज आकर्षक व्यक्तित्व की चाह सभी को होती है और बाल हमारे व्यक्तित्व को खासतौर पर प्रभावित करते हैं। स्वस्थ और घने बालों के साथ व्यक्तित्व में निखार अपने आप आ जाता है। हालांकि आज की जीवनशैली अैर प्रदूषण भरे वातावरण में बालों की सुंदरता को कायम रखना मुश्किल हो गया है, लेकिन यह इतना भी मुश्किल नहीं है क्योंकि आयुर्वेदिक तेलों से बालों की मसाज कर आप अपने बालों को खूबसूरत बना सकती हैं। आइए बालों को खूबसूरत बनाने वाले ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक तेलों के बारे में जानते हैं। आयुर्वेदिक तेल सिर में जा कर बालों की जड़ों को मजबूत करने का काम करते हैं। कुछ ऐसे तेल हैं जो बालों की जड़ों और बालों को मुलायम करने के लिए, बालों का झड़ना रोकने के लिए, डैंड्रफ के लिए, बालों को सफेद होने से बचाने के लिए और बालों को चमकदार  करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
गुड़हल का तेल- गुड़हल का तेल कई समय से प्रयोग होता आ रहा है। इस तेल को लगाने से बाल काले और सुंदर हो जाते हैं साथ ही यह तेल असमय सफेद बालों को बचाता है और उसमें ब्लैक शाइन लाता है। इसके अलावा गुड़हल का तेल बालों को पतला होने और झड़ने से भी रोकता है।
कैसे बनाएं गुड़हल का तेल – गुड़हल का तेल बनाने के लिए आपको 3 से 4 गुड़हल के फूल और मुठ्ठी भर पत्तियां, एक चम्मच मेथी दाना और लगभग 250 ग्राम नारियल के तेल की जरूरत होती है। तेल बनाने के लिए सबसे पहले गुड़हल के फूल और पत्तियों को मिक्सी में पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इसे एक बरतन में लेकर इस पेस्ट में नारियल का तेल मिलाकर गर्म करें। इस पेस्ट को लगातार चलाते रहें। फिर इसमें मेथी दाना डालकर एक मिनट के लिए गर्म करें। ठंडा होने पर तेल को बोतल में भर लें। तेल का प्रयोग जब भी करें, हल्का गर्म जरूर कर लें।
आंवले का तेल- बालों के झड़ने, असमय सफेद होने और बालों की अन्य समस्याओं के लिए आंवले का तेल बहुत फायदेमंद होता है। यह बालों के लिए सबसे अच्छा आयुर्वेदिक उपचार है। आंवला तेल में मौजूद विटामिन सी और आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस जैसे पोषक तत्त्व बालों और स्कैल्प को हेल्दी रखने में मदद करते है। पहले की महिलाएं आंवला को एक प्राकृतिक डाई के रूप में प्रयोग करती थीं। आंवले का तेल सफेद हो रहे बालों को काला करने में मदद करता है।
आंवले का तेल बनाने की विधि
इस तेल को बनाने के लिए थोड़े से आंवले लेकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर बारीक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अपने हेयर ऑयल या फिर नारियल के तेल में मिलाकर बोतल के ढक्कन को कस के बंद कर दें। आंवले के तेल को अच्छे से मिक्स होने के लिए एक हफ्ते का समय लगेगा। एक हफ्ते के बाद तेल को छानकर किसी साफ  बोतल में भर लें। इस तेल को आप अपने बालों में हफ्ते में एक या दो बार जरूर लगाएं। अपनी अंगुलियों के पोरों को सिर पर हल्के-हल्के घुमाते हुए तेल लगाएं। सिर धोने से 40 मिनट पहले यह तेल लगाएं।
भृंगराज तेल- आयुर्वेद में बालों के लिए भृंगराज को बहुत उपयोगी माना जाता है। इसे बालों का राजा कहा जाता है। आपके बाल झड़ रहे हों या आप डैंड्रफ की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो भृंगराज का इस्तेमाल आपके लिए अचूक औषधि साबित होगा। रोजाना भृंगराज तेल से बालों में मालिश करने से बाल काले और घने होते हैं। इससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है। इसे लगाने से बालों में डैंड्रफ भी कम होती है। यह सिर को ठंडक भी पहुंचाता है।
भृंगराज तेल बनाने की विधि
इसके लिए आप सबसे पहले भृंगराज के पत्तों का रस निकाल लें और उसमें उतनी ही मात्रा में नारियल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर थोड़ी देर के लिए रख दें। केवल तेल रह जाए तो उसे उतार कर ठंडा कर लें। अगर धीमी आंच पर रखने से पहले आंवले का रस मिला लिया जाए तो तेल और भी अच्छा बनता है।

भृंगराज तेल (Bhringaraj Oil) बालों को बनाये स्वस्थ व मजबूत

भृंगराज तेल ब्राह्मी के प्रयोग से बनने वाला यह तेल बालों को स्वास्थ प्रदान करने के साथ-साथ स्मरणशक्ति बढ़ाने वाला तथा मस्तिष्क की कमज़ोरी भी दूर करता है. इसकी निर्माण विधि एंव उपयोग प्रस्तुत है. भृंगराज एक प्रकार का हर्ब है. जिनको आयुर्वेद रसायन मानता है, जो बढ़ते उम्र के लक्षणों को देर से आने और नवजीवन प्रदान करने में बहुत सहायता करता है. इन सबमें सबसे अच्छी बात इस तेल को लगाने से बालों का झड़ना कम तो होता ही है. साथ ही नए बाल भी उगते हैं.

भृंगराज तेल बनाने के लिए सामग्री – Ingredients For Bhringaraj Oil


  1. भांगरे का रस ढाई लिटर
  2. ब्राह्मी का रस सवा तीन सौ ग्राम
  3. आंवले का रस सवा तीन सौ ग्राम
  4. तिल का तेल पौने दो सौ ग्राम
  5. हरड़, बहेड़ा, आंवला, नागरमोथा, कचूर, लोध्र, मजीठ, बावची, बरियारा के फूल, चन्दन, पदमाख अनन्त मूल, मण्डूर, मेहंदी, प्रियंगु, मुलेठी, जटामांसी और कूठ – सब 10 – 10 ग्राम.

भृंगराज तेल बनाने की विधि – How To Build Bhringaraj Oil

इन औषधियों को पीस कर लुगदी बना लें. और तीनों रस तथा तेल में मिला कर मन्दी आंच पर पकाएं.
जब सिर्फ़ तेल बचे. तब उतार कर छान लें. ठण्डा करके बोतलों में भर लें.

भृंगराज तेल उपयोग करने का तरीका – How To Use Bhringaraj Oil

यह भृंगराज तेल रोज़ाना सोते समय बालों की जड़ों में लगाकर 15 -20 मिनट हल्के हाथ से मालिश करने से बाल झड़ना और पकना (सफ़ेद होना) बन्द होता है. सिर दर्द नहीं होती. सिर में खुश्क़ी व रूसी नहीं होती. बाल घने, लम्बे, काले और चमकीले बने रहते है. दिमाग़ में ठण्डक और शान्ति बने रहते है.

भृंगराज तेल प्रयोग करने के लाभ – Benefits of Bhringaraj Oil

बालों का विकास होता है और बाल स्वस्थ बनते हैं- आयुर्वेद के अनुसार बाल तब झड़ते हैं जब शरीर में पित्त बढ़ जाता है और भृंगराज इसको शांत करके बालों को बढ़ने और उगने में मदद करते हैं। इस तेल को लगाने से खोपड़ी में रक्त का संचार अच्छी तरह से हो पाता है। भृंगराज तेल के साथ आंवला और शिकाकाई को मिलाने से वह और भी प्रभावकारी रूप से काम कर पाता है।
रूसी को ख़तम करे और असमय बालों का सफेद होना रोकता है- रोजाना भृंगराज तेल से मसाज़ करने पर स्कैल्प में किसी भी प्रकार का इंफेक्शन नहीं होता है। फलस्वरूप रूसी नहीं हो पाता है और बालों का नैचुरल रंग बना रहता है।
तनाव से मुक्त करता है- आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पित्त के बढ़ने के कारण भी तनाव होता है। भृंगराज इस मामले में बहुत काम आता है। जिन लोगों के बाल तनाव के कारण गिर रहे हैं, उनके लिए ये तेल प्रभावकारी रूप से काम करता है।

घर पर बनाये आयुर्वेदिक आंवला तेल

बालो के लिए आंवला सर्वोत्तम औषिधि मानी गयी हैं। आज हम आपको आयुर्वेदिक आंवला तेल घर पर बनाने की विधि बता रहे हैं। ये बहुत आसान हैं, और ये तेल लगाने से आपके गिरते पकते और झड़ते बाल काले और घने हो जायेंगे। आइये जाने आंवला तेल बनाने की विधि।

आवंला तेल बनाने की विधि।

प्रथम विधि –

हरे आंवले को कुचलकर या कद्दूकस कर के, साफ़ कपडे में निचोड़कर 500 ग्राम रस निकाले। किसी लोहे की कड़ाही या कलईदार दार बर्तन या मिटटी के चिकने बर्तन में आणले का रस डालकर उसमे 500 ग्राम काले तिलो का तेल या नारियल का तेल मिला ले और बर्तन को मंद मंद आग पर रखकर गर्म करे। पकते पकते जब आंवलों का रस का जलीय अंश वाष्प बनकर उड़ जाए (अर्थात जब चटर पटर या सनसनाहट की आवाज़ आनी बंद हो जाए) और तेल बाकी रह जाए तब बर्तन को आग से नीचे उतारकर ठंडा कर ले। ठंडा हो जाने पर इस तेल को फलालैन के कपडे (या साफ़ सफ़ेद महीन कपडे) या फ़िल्टर बैग की सहायता से छान ले। तत्पश्चात इस तेल को बोतल में भरकर दैनिक प्रयोग में लाये। इस तेल को बालो (बाल गीले ना हो) की जड़ो में अंगुलियों के पोरो से नरमी से मालिश करने से बाल लम्बे होते हैं और काले भी।

दूसरी विधि –

ताज़े आंवलों के रस के बजाये आंवलों के काढ़े से आंवला तेल बनाना – इसके लिए सूखा आंवला (गुठली निकला हुआ) 150 ग्राम को दरदरा कूटकर, एक बड़े कलई के बर्तन में 600 ग्राम पानी में रात्रि में भिगोकर रख दे और लगातार 15 घंटे भीगने के बाद आंवला सहित पानी युक्त बर्तन को हलकी हलकी आंच पर रख दे। पकते पकते जब पानी 300 ग्राम के लगभग रह जाए तो बर्तन को आग पर से नीचे उतारकर इस घोल को ठंडा कर ले। बाद में आंवलों को (अथवा पानी में भिगोई अन्य औषधियों को) खूब मसलकर किसी साफ़ बारीक कपडे से छान ले। इस से पानी छन जायेगा तथा औषधि का फोक कपडे के ऊपर रह जायेगा। अब इस छाने हुए आंवले का पानी (काढ़ा ) को किसी अन्य बर्तन में डालकर उसमे 500 ग्राम काले तिलो का तेल (रिफाइंड) मिलाकर धीमी आग पर रखकर पकाये ज़ब केवल तेल शेष रह जाए तब बर्तन को आग से नीचे उतार ले। ठंडा हो जाने पर इसे छान कर बोतल में भर ले (चाहे तो इस छाने हुए तेल में एक ग्राम हरा आयल कलर अच्छी तरह मिलकर रंगीन कर सकते हैं और तदुपरांत दो ग्राम ब्राह्मी आंवला कम्पाउंड (सुगंध ) या अन्य सुगंध मिलाकर सुगन्धित बना सकते हैं परन्तु रंगीन या सुगन्धित बनाना ज़रूरी नहीं हैं।
ये आयुर्वेदिक आंवला तेल बालो को काले, घने, स्वच्छ, चमकीले और रेशम की तरह मुलायम कर देता हैं। इस से सर दर्द तथा आँखों को भी फायदा होता हैं। मस्तिष्क में ताज़गी रहती हैं और सर के रोग भी दूर होते हैं।

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

राहु, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल, चन्द्र, सूर्य ग्रह की शान्ति के उपाय


केतु शान्ति के उपाय-

यदि आपकी जन्म कुण्डली में केतु अशुभ फल दे रहा हो तो निम्न उपाय करने से उसकी अशुभता में कमी लायी जा सकती है।
वैदिक मंत्र- ॐ  केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्य्याऽपेशसे। समुषभ्दिरजायथाः।।
पौराणिक मंत्र- ॐ पलाश पुष्प सकाशं तारका ग्रह मस्तकम्। रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।
तंत्रोक्त मंत्र- ॐ स्रां, स्रीं, स्रौं, सः केतवे नमः।
केतु गायत्री- ॐ पद्म पुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतु प्रचोदयात्।।
जप संख्या- 17000
रत्न- केतु हेतु लहसुनिया रत्न पंचधातु की अंगुठी में विधिवत् धारण करनी चाहिए।
दान हेतु वस्तुएं-  लोहा, बकरा, नारियल, तिल, सप्तधान्य, धूम्र वर्ण का वस्त्र, लोहे का चाकू, कपिला गाय दक्षिणा सहित दान करनी चाहिए।
अन्य उपाय- श्री गणेश जी की उपासना, कुत्तों को चपाती देना, पक्षियों को दाना देना लाभकारी होता है।

राहु ग्रह की शान्ति के उपाय-

यदि जन्म कुण्डली में राहु अशुभ फल दे रहा हो तो निम्न उपाय करने से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
वैदिक मंत्र- ॐ कयानश्चित्रऽआभुवदूती सदावृधः सखा कया शचिष्ठया वृता।
पौराणिक मंत्र- ॐ अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्य विमर्दनम्। सिंहिका गर्भ सम्भूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।
तंत्रोक्त राहु मंत्र- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
राहु गायत्री मंत्र – ॐ शिरो रूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात्।।
जप संख्या- 18000 हजार ।
रत्न- राहु ग्रह की शांति हेतु गोमेद रत्न धारण किया जाता है
राहु दान सामग्री- सप्तधान्य, गोमेद, सीसा, काला घोड़ा, तिल, चांदी का सर्प, उड़द, कम्बल, नारियल, काला या नीला वस्त्र, तलवार।

शनि की शान्ति के लिए उपाय

शनि की शान्ति के लिए उपाय- शनि देव यदि जन्म कुण्डली में अशुभ फल दे रहे हों तो निम्न उपायों से शुभ लाभ लिया जा सकता है।
वैदिक मंत्र- ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंय्यो रभिस्त्रवन्तु नः।
पौराणिक मंत्र- ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
तंत्रोक्त मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
जप संख्या- 23000।
शनि गायत्री- ॐ भग्भवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो सौरी:प्रचोदयात।
दान की वस्तुएं- लोहा, तिल, उड़द, सरसों का तेल, काला वस्त्र, काली गाय, कुल्थी, लौह निर्मित पात्र, जूता, भैंस, कस्तूरी, सुवर्ण, नारियल, काले अथवा नीले पुष्प।
रत्न- शनि के शुभत्व में वृद्धि हेतु नीलम रत्न धारण किया जाता है।
अन्य उपाय- शनिवार का व्रत रखना चाहिए। शिव स्तोत्र व शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शनि यंत्र धारण करना चाहिए। हनुमान जी की उपासना से भी लाभ होता है। पक्षियों व मछलियों को आटा डालना व मांसादि का परहेज करना चाहिए।

शुक्र ग्रह के शान्ति के उपाय-

शुक्र ग्रह के शान्ति के उपाय-
वैदिक मंत्र - ॐ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा क्षत्रं पयः सोमं प्रजापति। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं वियान ℧ शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।
पौराणिक मंत्र - ॐ हिम कुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम् सर्व शास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।
तन्त्रोक्त मंत्र - ॐ द्रां, द्रीं दौं सः शुक्राय नमः।
जप संख्या – 16000।
शुक्र गायत्री मंत्र - ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्।।
दान की वस्तुएं- चांदी चावल, सुवर्ण, दूध, दही, श्वेत वस्त्र, श्वेत घोड़ा, श्वेत पुष्प, श्वेत फल, सुगन्धित पदार्थ, दक्षिणा।
रत्न - शुक्र ग्रह हेतु हीरा धारण किया जाता है।
अन्य उपाय - शुक्रवार का व्रत धारण करना चाहिए। कुष्ट रोगियों को शुक्रवार के दिन खिचड़ी खिलाना शुभ होता है। शुक्रवार को माता संतोषी की पूजा कर श्वेत चन्दन का तिलक लगायें।

गुरु ग्रह की शान्ति हेतु उपाय

गुरु ग्रह की शान्ति हेतु उपाय- यदि जन्म कुण्डली में गुरु ग्रह अशुभ फल दे रहा हो तो निम्नांकित मंत्रों के जप करने से इसकी अशुभता में कमी आ जाती है।
वैदिक मंत्र- ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।
पुराणोक्त मंत्र- ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
तंत्रोक्त मंत्र- ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः ।
जप संख्या- 19000।
गुरु गायत्री मंत्र- ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्।।
रत्न- गुरु के शुभत्व में वृद्धि हेतु सोने या चांदी में सवा पांच रत्ती का पुखराज शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए।
यंत्र- गुरु यंत्र को सोने या चांदी के पत्र पर लिखवाकर या भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखकर पूजा प्रतिष्ठा करवाकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करना चाहिए।
दान सामग्री- पीले वस्त्र, पुखराज, पीले चावल, चने की दाल, हल्दी, शहद,पीले फल, घी धर्म ग्रन्थ, सुवर्ण पीली मिठाई दक्षिणा आदि।
अन्य उपाय- गुरु की प्रसन्नता हेतु बृहस्पति वार का व्रत धारण करना चाहिए। पीले पुष्पों से पूजन करना चाहिए, केशर का तिलक लगाना चाहिए, श्री विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना, गौ सेवा करना, पीले वस्त्रों का प्रयोग करना, व दानादि से इनकी अशुभता को कम किया जा सकता है।

बुध ग्रह के शान्ति के उपाय-

कुण्डली में बुध ग्रह की अशुभता को निम्न उपायों से कम किया जा सकता है।
वैदिक मंत्र- ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते स℧ सृजेथामयं च। अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।
पुराणोक्त बुध मंत्र- ॐ प्रियंगु कलिका श्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्। सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्।
तंत्रोक्त बुध मंत्र- ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
जप संख्या-  9000।
दान की वस्तुएं-  चीनी, हरे पुष्प, हरी इलाइची, मूंग दाल, कांस्य पत्र, पन्ना सोना, हाथी दांत, हरी सब्जी हरा कपड़ा।
रत्न-  हरे रंग का पन्ना सवा पांच रत्ती से अधिक सोने की अंगुठी में विधि पूर्वक हाथ की कनिष्ठिका या अनामिका में धारण करें।
यंत्र-  बुध के यंत्र को चांदी कं पत्र पर खुदवाकर या भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखवाकर उसकी विधिवत पूजा कर दायें भुजा में धारण करें।
अन्य उपाय- दुर्गा सप्तशती का पाठ व विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना चाहिए। भगवान गणेश जी की आराधना भी लाभप्रद होती है।

मंगल ग्रह शान्ति के उपाय-

मंगल ग्रह शान्ति के उपाय- मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए तथा मंगली दोष के शान्ति हेतु निम्न उपाय करने से इन दोषों का प्रभाव कम हो जाता है।
वैदिक मंत्र- ॐ अग्निमूर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्या अयम्। अपा℧ रे ता℧ सिजिन्वति।।
पुराणोक्त मंत्र- ॐ धरणी गर्भ संभूतं विद्युत्कान्ति समप्रभम्।कुमारं शक्ति हस्तं ते मंगल प्रणमाम्यहम्।।
तन्त्रोक्त मंत्र- ॐ क्रां क्री क्रौं सः भौमाय नमः।
जप संख्या- 10000
मंगल गायत्री मंत्र- ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात्।
दान सामग्री- मसूर की दाल, घी, सुवर्ण, मूंगा, ताम्र बर्तन, कनेर पुष्प, लाल चन्दन, लाल वस्त्र, केशर, नारियल, मीठी रोटी, गेहूं , मंगल का दान युवा ब्राह्मण को देना लाभप्रद रहता है।
रत्न- मंगल ग्रह को बली बनाने हेतु सवा पांच रत्ती से आठ रत्ती तक मूंगा सोने या तांबे की अंगूठी अनामिका में शुभ मूहूर्त में धारण करें।
यंत्र- मंगल यंत्र को ताम्रपत्र पर खुदवाकर मंगल की होरा में या भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखकर विधिवत पूजा कर गले में या दायें बाजू में धारण करना चाहिए।
अन्य उपाय- मंगल वार का व्रत धारण करना चाहिए, मंगली दोष के कारण यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा हो तो मंगला गौरी का व्रत लगातार सात मंगलवार करने से लाभ होता है। हनुमान चालीसा का पाठ व उपासना करनी चाहिए। जटा नारियल में सिंदूर, मौली को लाल वस्त्र में लपेटकर मंत्र सहित चलते पानी में बहाना, गाय को मीठी रोटी खिलाना, आदि लाभप्रद रहते हैं ।

चन्द्र ग्रह शांति के उपाय

चन्द्र ग्रह शांति के उपाय– जन्म कुंडली में चंद्र ग्रह यदि अशुभ कारक हो तो निम्न लिखित मन्त्रों का जप करने से चंद्र ग्रह की शांति हो जाती है।
वैदिक मंत्र– ॐइमं देवा असपत्न℧ सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठाय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणाना ℧ राजा।
पुराणोक्त मंत्र- ॐ दधिशंख, तुषाराम्भं क्षीरोदार्णव सम्भवम्।नमामि शशिनं सोमं शंभोः मुकुट भूषणम्।।
स्नान तथा दान काल में यह मंत्र का उच्चारण लाभप्रद होता है।
तंत्रोक्त मंत्र- ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।
चन्द्रमा के जप की संख्या 11000 है।
चन्द्र गायत्री मंत्र- ॐ अमृतांगाय विद्महे कला रूपाय धीमहि तन्नो सोमः प्रचोदयात्।
अर्घ्य मंत्र- ॐ सों सोमाय नमः।
चन्द्र रत्न- चन्द्र ग्रह की अशुभता के निवारण हेतु मोती रत्न धारण किया जाता है।
औषधि स्नान – चन्द्र ग्रह की शांति के लिए पंचगव्य, बेल गिरी, गजमद, शंख, सिप्पी,श्वेत चंदन, स्फटिक से स्नान करना चंद्रमा जनित अनिष्ट प्रभावों को कम करता है। भगवान शिव का पूजन सोमवार के दिन करना तथा पूर्ण चन्द्र के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य प्रदान करने से चन्द्र ग्रह की शांति हो जाती है।
चन्द्र यंत्र- चन्द्रमा ग्रह की शान्ति हेतु चन्द्र होरा में चांदी के पत्र में चन्द्र यंत्र खुदवाकर या अष्टगन्ध से भोजपत्र पर लिखकर उसकी विधिवत, पूजन कर गले या दाहिनी भुजा में धारण करना चाहिए। अन्य उपाय- सोमवार का व्रत रखकर चावल सफेद वस्त्र, आदि सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए। सोमवार को प्रातः काल स्नानादि करके भगवान शंकर की मूर्ति पर जल तथा दूध चढाना चाहिए।

सूर्य ग्रह शान्ति

यदि कुण्डली में कोई ग्रह योग कारक होकर अशुभ फल दे रहा हो उस ग्रह का विधि पूर्वक पूजन अवश्य करना चाहिए। आज हम ग्रहों के शान्ति हेतु जप, मंत्र, दान आदि की विधि बता रहे हैं।
सूर्य ग्रह के शान्ति हेतु उपाय- सूर्य ग्रह हमारे संसार के नियोक्ता व शक्ति के प्रमुख स्रोत हैं।
वेदोक्त मंत्र - ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मत्र्यं च।हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।।
पुराणोक्त मंत्र – जपा कुसुम संकाशं काशिपेयं महाद्युतिम। तमोऽरिं सर्व पापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।
सूर्य गायत्री मंत्र - ॐ आदित्याय विद्महे भास्कराय धीमहि तन्नो भानुः प्रचोदयात्।
तंत्रोक्त सूर्य बीज मंत्र -ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:
लघु मंत्र -ॐ घृणि सूर्याय नमः।
सूर्यार्घ्य मंत्र – एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्तया गृहाणार्घ्यदिवाकरः।।
सूर्य नारायण जी की जप संख्या 7000 है। मंत्र संख्या का विधिवत जप करके दशांश हवन करना चाहिए।
सूर्य दान - सूर्य दान हेतु वस्तुऐं गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, घी, सुवर्ण, माणिक्य, ताम्रपात्र, नारियल, लालचन्दन, लाल फूल, दक्षिणा, लाल दाल।
समय – सूर्य दानादि का समय सूर्योदय काल है।
सूर्य व्रत - रविवार का व्रत करने से सूर्य नारायण प्रसन्न होते हैं। व्रत का विधान हम पहले बता चुके हैं।
सूर्य रत्न – सूर्य ग्रह को बली बनाने हेतु माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।
सूर्य यंत्र – सूर्य यंत्र को तांबे पर खुदवाकर उसका नित्य पूजन करना चाहिए। सूर्य यंत्र को भोजपत्र पर अष्टगन्ध से लिखकर गले या दाहिने हाथ के बाजू पर धारण करना चाहिए।
औषधि स्नान- सूर्य ग्रह की शान्ति के लिए इलाइची, देवदारू, केशर, खस, रक्त पुष्प, रक्त चन्दन, कनेर पुष्प, गंगाजल, मनः शिला को मिलाकर रविवार के दिन स्नान करने से अत्यन्त लाभ प्राप्त होता है।इसके अलावा रविवार को केसर तिलक लगाना, सूर्य गायत्री, आदित्य हृदय स्तोत्र, एवं सूर्य कवच का पाठ, श्री विष्णु भगवान की उपासना करना लाभकारी होता है। रविवार के दिन अन्धाश्रम कुष्टाश्रम, अस्पताल में पकाये अन्न का दान करना लाभप्रद होता है।
सूर्य शान्ति के अन्य उपाय- सूर्योदय काल में ताम्रपात्र से भगवान सूर्य नारायण को जल दूध, पुष्प, गंध, लाल चन्दन आदि लेकर पूर्वाभिमुख होकर अर्घ्य देना चाहिए। रविवार के दिन नमक का परहेज रखें, ग्यारह रविवार पर्यनत केवल दही और चावल का सेवन करना चाहिए। रविवार के दिन लाल वर्ण की गाय को गुड़ मिलाकर आटा खिलावें।