सोमवार, 15 अगस्त 2011

मालिश का इतिहास

परिचय-

मालिश करने की परंपरा बहुत ही पुरानी और लोकप्रिय हैं। ज्यादातर लोगों के अस्वस्थ होने पर या शरीर के अकड़ जाने पर, पहलवानों को मल्लयुद्व (कुश्ती) के दौरान और स्त्रियों को प्रसवकाल के बाद मालिश करवाते देखा गया है। नवजात बच्चे के जन्म से 6 महीने तक उसके शारीरिक विकास के लिए सरसों के तेल से मालिश करना बहुत आवश्यक है। पुराने जमाने के राजा-महाराजा अपने दरबार में बाकायदा मालिश करने वाले को रखते थे। कुछ लोग तो अपने शौक के तौर पर मालिश करवाते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि मालिश की उपयोगिता और अनिवार्यता दोनों ही स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है।

मनुष्य के स्वास्थ्य के बारे में हिन्दी में एक काफी लोकप्रिय कहावत है- स्वस्थ तन में ही स्वथ्य मन होता है और स्वस्थ मन में ही स्वस्थ विचार पैदा होते हैं। स्वस्थ विचारों से आत्म-सन्तुष्टि मिलती है और आत्म-सन्तुष्टि से ही परम सुख की प्राप्ति होती है।

स्वास्थ्य के बारे में उर्दू में एक कहावत कही जाती है- `तन्दुरुस्ती हजार नियामत है और अंग्रेजी में कहा गया है- `हैल्थ इस वैल्थ। स्वास्थ्य के स्वरूप को सही रूप में प्रस्तुत करने के लिए अनेक प्रकार की बाते बताई गई है। वास्तव में हमारा शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है और मृत्यु के बाद इन्हीं पंचतत्वों में विलीन हो जाता है। शरीर में रोग भी इन्हीं पंचतत्वों के न्यूनाथिक होने और परस्पर असामंजस्य के कारण होते हैं। रोगग्रस्त होने पर, हमारी एक स्वाभाविक मन:स्थिति होती है कि हम जल्दी-से-जल्दी स्वस्थ हो जाए। इस प्रयास में हम अधिकतर ऐलोपैथी चिकित्सा पद्वति का इस्तेमाल करते हैं, जिससे शरीर अपने आपको स्वस्थ महसूस तो करता है मगर इसके दुष्परिणाम प्राय: लाभ से भी अधिक हो जाते हैं। यही नहीं बल्कि इस पद्वति से रोग को जड़ से समाप्त करना भी प्राय: कठिन ही होता है। स्थायी रुप से स्वास्थ्य-लाभ के लिए आवश्यक है कि प्रकृति द्वारा शरीर में प्रवेश करने वाली बीमारियों को प्राकृतिक चिकित्सा से ही ठीक किया जा सके। इनमें `मालिश´ को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। मालिश के महत्त्व को आयुर्वेद ग्रंथों में भी उच्च माना गया है।

मालिश कई प्रकार की होती है- जैसे तेल की मालिश, सूखी मालिश, ठण्डी मालिश, गर्म मालिश, पॉउडर मालिश और इलेक्टिक मालिश। मालिश प्रक्रिया में तेल मलना, ताल से हाथ चलाना, थपथपाना, दलन क्रिया, घर्षण देना, मरोड़ना, दबाना, बेलना और झकझोरना आदि को बड़े ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया है। शरीर पर मालिश का अच्छा और लाभकारी प्रभाव तीव्रता से हो, इसके लिए खड़ी थपकी देना, अंगुलियों से ठोकना, कटोरी थपकी देना, मुक्के मारना, खड़ी और तेज मुक्के मारना, गांठ घुमाना और कंपन देना आदि प्रक्रियाओं को बहुत ही अच्छे ढंग से बताया गया है।

नवजात शिशु के जन्म लेने के कुछ दिन बाद से ही उसके घर के बड़े लोग उसकी मालिश करना शुरू कर देते हैं। मालिश न सिर्फ त्वचा को पुष्ट करती है बल्कि शरीर के हर अंग को पोषण देती है। मालिश बच्चों की ही नहीं बल्कि बड़ों की त्वचा को भी पोषण देती है और हडिड्यों को मजबूत बनाती है।

मालिश करने के बाद धूप का सेवन और फिर स्नान का भी बहुत लाभ होता है। पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं के लिए भी मालिश काफी लाभकारी होती है।

आज शहरी जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि लोगों को अपनी या अपने परिवार की सेहत की देखभाल का समय ही नहीं मिल पाता। एलौपेथिक चिकित्सा सर्दी, जुकाम, तनाव, अनिद्रा जैसी छोटी, किंतु परेशान करने वाली बीमारियों में असरदार तो साबित हो जाती हैं, लेकिन बीमारी के कारण होने वाली कमजोरी को दूर नहीं कर सकती। ये कमजोरी सिर्फ मालिश से ही दूर हो सकती है।

आज के युग को मशीनों का युग कहा जाता है क्योंकि आज का मनुष्य अपने से ज्यादा मशीनों पर निर्भर हो गया है। इन मशीनों से ऐसे काम हो जाते हैं जिन्हे शायद मनुष्य नहीं कर पाता और इन्ही मशीनों ने मनुष्य को इतना आलसी बना दिया है कि मनुष्य अब काम नहीं करना चाहता बल्कि वो यह चाहता है कि कोई मशीन मिल जाये जो उसके हर काम को कर दे।

दिन-प्रतिदिन आलसी होने के कारण मनुष्य ने अपने शरीर को रोगों का घर बना लिया है। जो हर दूसरे-तीसरे दिन छोटी-मोटी बीमारियों के रूप में प्रकट होती रहती है। अगर अपने दिनभर के कामकाज के साथ थोड़ा सा व्यायाम व मालिश का उपयोग किया जाये तो काफी हद तक बीमारियों से बचा जा सकता है।

सप्ताह में 1 बार अपने पूरे शरीर की मालिश करनी चाहिए और यही मालिश अगर किसी दूसरे व्यक्ति से कराई जाए तो वो ज्यादा लाभकारी होती है। आजकल ज्यादातर ब्यूटी पार्लरों में मालिश की व्यवस्था होती है। पर मालिश घर पर खुद भी की जा सकती है। इसके लिए सबसे पहले चटाई, पुरानी मोटी चादर, हैड बैण्ड, सरसों अथवा जैतून के तेल ले लेना चाहिए। इसके बाद फर्श पर चटाई बिछाकर उस पर मोटी चादर बिछा लें। सबसे पहले हाथों की मालिश से शुरुआत करें। फिर तेल को गुनगुना कर लें और थोड़ा सा तेल लेकर अपने हाथ के ऊपर थपथपा कर लगा लें। इसके बाद पहली उंगली और अंगूठे को कलाई से लेकर गोल-गोल घुमाते हुए हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। कंधों तक इसी प्रकार मालिश करें। फिर दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर हथेलियों को एक-दूसरे से रगड़ें, उंगलियों को भी गोल-गोल घुमाते हुए नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें। गर्दन और गले पर भी तेल लगाकर नीचे से ऊपर की ओर तथा अन्दर से बाहर की ओर थपथपाते हुए मालिश करें।

अब चटाई पर सीधा लेट जाएं। पेट पर 2 उंगलियों से हल्का दबाव देते हुए अन्दर से बाहर की ओर गोलाई में मालिश करें। जांघों पर भी इसी प्रकार दोनों हाथों से गोल-गोल घुमाते हुए मालिश करें। इसी प्रकार पिण्डलियों, टखनों, घुटनों और पंजों पर भी मालिश करें। पीठ की मालिश किसी दूसरे व्यक्ति से ही करानी चाहिए। चटाई पर उल्टे लेटकर पीठ पर दोनों अंगूठों को घुमाते हुए नीचे से ऊपर की ओर मालिश करनी चाहिए। मालिश के बाद आंखें बन्द करके आराम करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।

सावधानी- किसी भी तरह की मालिश करवाने के बाद 2 घंटे बाद तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए।

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