सोमवार, 15 अगस्त 2011

मालिश की कुछ विधियां

परिचय-

भारतीय प्राचीन ऋषि-मुनियों और साधु-संतों के बारे में यह धारणा मानी जाती है कि वे किसी भी रोगी को सिर्फ स्पर्श करके रोगमुक्त कर देते थे। ऐसा करना उनके लिए मामूली बात थी और यह बात है भी ठीक। ईसा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने असाध्य यानी बिगड़ी हुई बीमारी से ग्रस्त रोगियों को अपने हाथ के स्पर्श मात्र से रोगमुक्त किया था। यह भी मालिश का ही दूसरा रूप है।

बहुत-से महात्मा, साधु-संत दूसरों के रोगों को देखकर इतना द्रवित हो जाते थे कि उनका रोग अपने ऊपर ले लेते थे और स्वयं रोगी हो जाते थे। उदाहरण के लिए बाबर ने हुमायू का रोग अपने ऊपर ले लिया था, जिससे हुमायूं ठीक हो गया और बाबर रोगी होकर मर गया। जो साधु-संत वास्तविकता का ज्ञान प्राप्त कर चुके हों, त्यागी हो और केवल मानवता के भले के लिए जी रहे हों, वे ही इस प्रकार की चिकित्सा से लाभ उठा सकते हैं।

मालिश का भी यही सिद्धान्त है कि आप जितना ध्यान लगाकर रोगी के स्वास्थ्य की कामना करते हुए शान्त वातावरण में मालिश करेंगे, रोगी उतना ही जल्दी अपने रोग से छुटकारा पा लेगा। मन में अच्छी भावना हो तो आप शरीर के मुर्दा अंग को भी जीवित कर सकते हैं। मालिश करने वाला, मालिश के द्वारा अपनी शक्ति और भावनाओं का प्रभाव रोगी पर छोड़ता है और उसकी गर्मी खुद ग्रहण कर लेता है।

ऐसा आत्मबल कोई भी व्यक्ति अपने अन्दर पैदा करके अपने जीवन को भगवान को अर्पित कर नि:स्वार्थ भाव से जीवन व्यतीत कर सकता है। अगर आपके मन में केवल समाज की सेवा करना ही हो, किसी से कुछ लेने की आशा न हो, तो आप भी ऐसा आत्मबल प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप जीवन के किसी कोने में भटके, आपके मन में स्वार्थ की भावना आ गई तो वहीं आपको असफलता का सामना होता हैं। ऐसे में यदि आपके स्पर्श से किसी रोगी को लाभ हुआ तो वह मनोवैज्ञानिक होगा, आत्मिक नहीं। इससे रोगी का रोग कुछ समय के लिए तो ठीक हो जाएगा, परन्तु हमेशा के लिए नहीं। कुछ पर इसकी प्रतिक्रिया बुरी भी होगी और कुछ पर कोई प्रभाव नहीं पडे़गा। हमारे कुछ रोग ऐसे भी होते हैं, जो मन से पैदा हो जाते हैं या अगर कोई रोग नाममात्र का हो भी जाता है तो हम वहम में पड़कर उसका भयानक रूप बना देते हैं और अधिक दु:खी हो जाते हैं, जबकि हकीकत यह है कि बात कुछ और ही होती है। ऐसा भी देखा गया है कि कई बार रोगी अपने मामूली रोग को बड़ा भयानक रोग समझकर धबरा जाता है तथा उस पर दहशत सवार हो जाती है, जिस कारण उसकी मृत्यु तक हो जाती है। हमारी इसी मानसिक कमजोरी के कारण भी कुछ रोग भयंकर रूप धारण कर लेते हैं।

पिछले 60-70 साल से सम्मोहन द्वारा रोगी को प्राकृतिक रूप से नींद में लाकर चिकित्सा करने की एक नई चिकित्सा-पद्धति प्रकाश में आई है जिसका नाम है सम्मोहन क्रिया (हिप्नाटिज्म)। यह भी मालिश का ही एक रूप है। इसमें रोगी पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालकर उसे केवल विचारों से ही ठीक किया जाता है। यह स्पर्श करके रोगों को ठीक करने की विधि के समान है। स्पर्श में आत्मिक बल से रोग दूर किए जाते हैं। परन्तु सम्मोहन द्वारा चिकित्सा करने वालों में वह आत्मिक बल नहीं होता और वे प्राकृतिक रूप से प्राप्त अपना बल दिखाता है। दूसरों पर अपनी बातों का प्रभाव डालते हैं तथा अपनी आंखों से कृत्रिम तेज पैदा करके रोगी को अपने मोह जाल में फंसा लेते हैं।

वैसे सम्मोहन से चिकित्सा करने वालों ने भी मालिश को अपनी चिकित्सा पद्धति में स्थान दिया है। वे मालिश को सम्मोहन के मुकाबले कम अच्छा मानते हैं परन्तु फिर भी मालिश की उपयोगिता को स्वीकार करते हैं।

वास्तव में देखा जाए ताप सम्मोहन-चिकित्सा रोगी की मनोभावना पर अपनी भाव-भंगिमा और अपनी आकृति के आकर्षण का प्रभाव डालती है। इससे रोगी वही सोचने लगता हैं, जो चिकित्सक उससे चाहता है। कुछ रोगी राहत भी महसूस करते हैं, परन्तु उनका यह प्रभाव अधिक कमजोर मन वाले, भ्रंम में पडे हुए और डरपोक रोगियों पर अधिक पड़ता हैं। साहसी, बलशाली और आत्मविश्वासी रोगियों पर इस पद्धति का प्रभाव नहीं के बराबर पड़ता है और इसके ठीक विपरीत मालिश का प्रभाव हर प्रकार के मनुष्य पर पड़ता है। मालिश चाहे तेल से की जाए या पॉउडर से, मालिश बिजली से हो या पानी से, वह अपना प्रभाव अवश्य छोड़ती है। मालिश द्वारा हम अपने सारे रोग दूर करके स्वस्थ और सुन्दर शरीर प्राप्त कर सकते हैं। इससे जीवन में उत्साह बढता है और व्यक्ति दिमागी रूप से पहले की अपेक्षा बेहतर होता जाता हैं।

मालिश करने की विधि-

मालिश करते समय उंगलियों के पोरों यानी ऊपरी भाग से मालिश करना ठीक नहीं है। सबसे पहले तेल को हल्का गर्म करके बालों को थोड़ा-थोड़ा हटाकर सिर की पूरी त्वचा पर लगा लें। दोनों हाथों के अंगूठे को गुद्दी के गड्ढे पर टिकाएं। उंगलियों को माथे तक फैलाकर रखें। फिर उंगलियों को अपने स्थान पर टिकाते हुए अंगूठे को गोलाकार रूप में घुमाते हुए कनपटी तक लाएं। फिर उंगलियों को सिर के मध्य भाग में सीधा खिसकाते हुए कनपटी तक ले जाएं। इस प्रकार नीचे गर्दन से लेकर ऊपर सिर तक की मालिश करें।

  • उंगलियों को एक-दूसरे में फंसाए और सिर पर हल्का-सा दबाव डालते हुए मालिश करें। सिर के पिछले भाग में इसी प्रकार अंगूठों को ऊपर से नीचे खिसकाते हुए 10 बार मालिश करें।
  • उंगलियों को सिर पर टिकाएं। कोहनी पर बाजुओं को ढीला छोड़कर उंगलियों से दबाव डालते हुए हाथों द्वारा कम्पन करें। रक्त संचार तेज करने के लिए यह सबसे उत्तम तरीका है।
  • हथेलियों को सिर के दोनों किनारों और कनपटियों पर रखकर कम्पन्न करते हुए तेजी से रगड़ें। इस तरह की मालिश से तनाव दूर होता है।
  • उंगलियों को सिर पर सीधा खड़ा रखकर तेजी से सिर के अगले, पिछले और बीच वाले भाग में चलाएं।
  • तेल बालों की जड़ों तक पहुंचे तथा बन्द रोम-कूप खुल जाएं, इसके लिए गर्म पानी में तौलिया भिगोकर निचोड़ें तथा सिर पर लपेट लें। तौलिए को देर तक गर्म रखने के लिए सिर पर प्लास्टिक की टोपी भी पहन सकते हैं।

जानकारी : ठीक ढंग से मालिश करने पर बाल स्वस्थ और चमकदार बनते हैं तथा उनका गिरना और टूटना भी कम हो जाता है।

आंखों की मालिश

आंखों के भीतरी और ऊपरी कोनों से आंखों के चारों ओर बाहर की ओर हल्की मालिश करें। हाथ की तीसरी उंगली का प्रयोग करते हुए नाक के दोनों किनारों और कनपटी पर हल्का दबाव देते हुए मालिश करें। आंख के आस-पास की त्वचा अत्यंत कोमल होती है, अत: वहां की त्वचा को खींचना नहीं चाहिए। नाक से आरम्भ करके ऊपर की ओर भौहों पर चुटकी काटते हुए मालिश करें। तर्जनी और अंगूठे की सहायता से भौंहों पर हल्की ऐंठन दें। 5 बार ऐसा करने से आंखों की थकान दूर होती हैं। भौहों पर सीजर मालिश से भी आंखों की थकान दूर होती है।

मुंह, नाक और गालों की मालिश

परिचय-

चेहरे के दोनों ओर हाथों से हल्का दबाव डालते हुए चेहरे पर ऊपर माथे तक मालिश करें। चेहरे पर दोनों हाथों से हल्का दबाव डालते हुए बालों के किनारे तक, भौंहों के बालों को उंगलियों से दबाकर उठाते हुए नाक और मुंह के दोनों छोरों तक लाएं। उंगलियों को होठों पर फेरते हुए ठोड़ी, गालों पर तथा मुंह के कोनों से होते हुए नाक तक मालिश करें और भौहों पर हाथ फेरें। इस प्रकार की मालिश से चेहरे की रौनक बढ़ती हैं।

चेहरे और माथे पर पैटिंग मालिश

मालिश की यह एक हल्की क्रिया है, जो ठोड़ी से कानों की लौ तक, मुंह से कान और माथे तक की जाती है। चेहरे के इन भागों की थपथपाकर मालिश की जाती है।

फुलफेस ब्रेस

अपने हाथों की हथेलियों को इस प्रकार गालों पर रखें कि उंगलियां ठोड़ी को नीचे तक ढक लें। अब चेहरे पर हल्का दबाव बनाते हुए हाथों को ऊपर की ओर लाएं।

ठोड़ी तथा गालों पर चुटकी काटना

ठोड़ी और गालों की शिराओं तथा मांसपेशियों को चुटकी काटते हुए ऊपर उठाएं तथा फिर हल्का सा दबाते हुए मालिश करें।

क्रिस क्रॉसिंग

  • अपने दोनों हाथों को कमर के दोनों ओर रखें। दोनों हाथ के अंगूठे शरीर के ऊपर न होकर दूसरी दिशा में होने चाहिए।
  • दोनो हाथों से कमर पर हल्का दबाव डालते हुए ऊपर की ओर खींचें। कमर को थोड़ा खींचते हुए हाथों को पीठ पर फिसलाएं।
  • अब हाथों को एक-दूसरे के पास रखें। अब एक हाथ को ऊपर तथा दूसरे हाथ को नीचे की ओर ले जाते हुए मालिश करें। साइड में खिंचाव रखते हुए मालिश करें तथा पीठ पर हल्के हाथों से स्पर्श करें। इस प्रकार, नीचे और पीठ पर हाथ फिराकर मालिश करने का क्रम कुछ देर जारी रखें।

स्ट्रोकिंग से मालिश समाप्त कैसे करें

मालिश को खत्म करते समय भी स्ट्रोकिंग का तरीका प्रयोग में लाएं। माथे के मध्य भाग से आरम्भ कर कनपटियों तक लाएं। इसके बाद चेहरे पर मालिश करते हुए कानों के नीचे गर्दन के दोनों ओर तथा नाक के दोनों किनारों से होकर गालों तथा फिर ठोड़ी पर मालिश करते हुए गर्दन पर चारों ओर मालिश करें। मालिश खत्म करने के बाद चेहरे पर बची हुई चिकनाई साफ कर दें। एस्ट्रेंजेन्ट या स्किन टॉनिक में रूई भिगोकर चेहरे पर थपकाने से त्वचा मुलायम तथा चमकदार बन जाती है। मालिश क्रिया के बाद स्टीमिंग या भाप का भी प्रयोग कर सकते हैं। स्टीमिंग के लिए गर्म तौलिया या जड़ी-बूटियां मिले हुए गर्म पानी के बर्तन पर झुककर भाप लें। यदि आपकी त्वचा तैलीय है तो आप स्टीमर का प्रयोग कर सकती हैं। स्टीमिंग से त्वचा के रोमछिद्र खुल जाते हैं ओर त्वचा की गदंगी बाहर निकल जाती है। रक्तसंचार (खून का बहाव) बढ़ने से पसीना आता है तथा शरीर के दूषित तत्व बाहर निकल जाते हैं।

ब्यूटी पार्लर में ब्यूटीशियन द्वारा समय-समय पर मालिश कराने से लाभ अधिक होता है क्योंकि सौन्दर्य चिकित्सक गर्दन, छाती तथा पीठ पर अपने हाथों या इस काम के लिए इस्तेमाल होने वाले तकनीकी उपकरणों यानी मशीनों के द्वारा ऐसी क्रियाएं करते हैं जिन्हें खुद करना सम्भव नहीं होता।

कोई टिप्पणी नहीं: